भारत में बैंकिंग प्रणाली
स्वामित्व के आधार पर दो प्रकार के बैंक होते हैं।
- लोक क्षेत्रक बैंक
- निजी क्षेत्रक बैंक
लोक क्षेत्रक बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 50% से अधिक होती है, इनका पंजीयन राष्ट्रपति के नाम से होता है। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया आदि इसी प्रकार के बैंक है।
निजी क्षेत्रक बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 50% से कम होती है, इसका पंजीयन निजी व्यक्ति या संस्था के नाम से होता है। आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक आदि इसी प्रकार के बैंक हैं।
बैंक एक ऐसी मध्यस्थ वित्तीय संस्था होती है, जो जमाकर्ताओं का जमा स्वीकार करता है तथा ऋण की मांग करने वालों को ऋण प्रदान करता है।
भारत का पहला बैंक ‘बैंक ऑफ़ हिन्दुस्तान‘ था, जिसकी स्थापना यूरोपीय बैंकिंग पद्धति पर अलेक्जेंडर एंड कंपनी द्वारा 1770 ई. में कोलकाता में की गयी थी। 1806 में बैंक ऑफ़ बंगाल और 1840 बैंक ऑफ़ बॉम्बे तथा 1843 में बैंक ऑफ़ मद्रास की स्थापना हुई थी। इन तीनों को मिलाकर 1921 में इम्पीरियल बैंक ऑफ़ इन्डिया बनाया गया। अवध कमर्शियल बैंक (1881) भारतियों द्वारा संचालित पहला बैंक था, किन्तु यह विदेशी पूंजी तथा सीमित देयता पर आधारित था। भारतीय पूंजी पर आधारित तथा पूर्णतया भारतीयों द्वारा संचालित पहला स्वदेशी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (1894) था। इसके संस्थापक लाला हरदयाल थे।
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इन्डिया (RBI)
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इन्डिया अधिनियम 1934 के तहत 1 अप्रैल 1935 को ₹5 करोड़ की पूंजी के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की गयी। इसका राष्ट्रीयकरण 1 जनवरी 1949 को किया गया। इसका मुख्यालय मुंबई में है। इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय- मुंबई, कोलकाता, दिल्ली तथा चेन्नई में हैं।
वर्तमान में भारतीय रिज़र्व बैंक करेंसी नोट जारी करने के लिए न्यूनतम कोष पद्धति अपनाता है, इस पद्धति में RBI के पास कुल मिलाकर किसी भी समय ₹200 करोड़ के मूल्य से कम का कोष नहीं होना चाहिए, जिसमे कम से कम ₹115 करोड़ का स्वर्ण भंडार होना आवश्यक है।
रिज़र्व बैंक के कार्य
- साख नियंत्रण करना एवं मौद्रिक नीति का संचालन करना
- विदेशी विनिमय पर नियंत्रण रखना
- सरकार के बैंकर का कार्य करना
- बैंकों के बैंक का कार्य करना
- नोटों का निर्गमन करना
₹1 के नोट वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किये जाते हैं, जिनपर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं। ₹1 से अधिक मूल्य वाले के नोट रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं जिनपर रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं।
बैंकों का राष्ट्रीयकरण
₹50 करोड़ से अधिक पूंजी वाले 14 बड़े व्यावसायिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण 19 जुलाई 1969 को किया गया। ₹200 करोड़ से अधिक पूंजी वाले 6 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण 15 अप्रैल 1980 को किया गया। इनमें से न्यू बैंक ऑफ़ इन्डिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में 1993 में कर दिये जाने से कुल राष्ट्रीयकृत बैंकों की संख्या वर्तमान में 19 है।
भारत में वर्तमान में (1 अप्रैल 2017 की स्थिति में) सरकारी बैंकों की संख्या 21 है। जिनमे 19 राष्ट्रीयकृत बैंक तथा पोस्टल बैंक ऑफ़ इन्डिया (2015) और मुद्रा बैंक (2015) शामिल हैं। SBI और IDBI को PSU माना गया है।
स्टेट बैंक ऑफ़ इन्डिया
1 जुलाई 1955 को इम्पीरियल बैंक ऑफ़ इन्डिया का राष्ट्रीयकरण किया गया तथा इसे भारतीय स्टेट बैंक नाम दिया गया। इसका मुख्यालय मुंबई में है। स्टेट बैंक ऑफ़ इन्डिया के पांच सहायक बैंक हैं-
- स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर
- स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद
- स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर
- स्टेट बैंक ऑफ़ पटियाला
- स्टेट बैंक ऑफ़ त्रावणकोर।
1 अप्रैल 2017 को इन सहायक बैंकों तथा भारतीय महिला बैंक का SBI में विलय हो गया।
IDBI (इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक आफ इंडिया)
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक: औद्योगिक साख उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1964 में इसकी स्थापना एक गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था के रुप में की गई। परंतु 2004 से यह एक बैंक के रूप में भी कार्य करने लगा है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
भूमि विकास बैंक
भूमि विकास बैंक एक बंधक बैंक है। इसकी स्थापना 1929 में मद्रास में हुआ था। इसका उद्देश्य कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में दीर्घकालिक वित्तीय आवश्यकता की पूर्ति करना है। यह बैंक दो स्तरों पर कार्य करता है-
- राज्य स्तर: केन्द्रीय भूमि विकास बैंक
- जिला स्तर: प्राथमिक भूमि विकास समिति
सहकारी बैंक
सहकारी बैंक राज्य विधानसभा के द्वारा पारित नियमों के अनुसार गठित किया जाता है। यह कृषि वित्त का एक मुख्य संस्थागत स्रोत है, पुरे देश के सन्दर्भ में कृषि एवम् सम्बद्ध क्रियाओं को 43% सांख प्रदान करता है। ये तीन स्तरों पर कार्य करता है-
- प्राथमिक सहकारी समितियां – यह ग्राम स्तर पर कार्य करती हैं तथा कृषि उत्पादन कार्य के लिए 1 साल की अवधि का अल्पकालीन ऋण देती हैं।
- जिला सहकारी बैंक – इसे केन्द्रीय सहकारी बैंक भी कहते हैं। यह राज्य सहकारी बैंक और प्राथमिक सहकारी समितियों के बीच मध्य स्तर का कार्य करता है।
- राज्य सहकारी बैंक – यह राज्य का शीर्ष सहकारी बैंक होता है। इसे अपेक्स बैंक भी कहते हैं। यह राज्य के मुख्यालय में स्थापित रहता है तथा केन्द्रीय सहकारी बैंकों (जिला सहकारी बैंकों) को ऋण प्रदान करता है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (रीजनल रूरल बैंक)
2 अक्टूबर 1975 को 5 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना गयी, बाद में इनकी संख्या 196 हो गयी। परन्तु वर्तमान में 31 मार्च 2016 की स्थिति में केवल 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं। गोवा तथा सिक्किम में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक नहीं है। यह देश का सर्वाधिक पूंजी एकत्रित करने वाला बैंक है। यह एक प्रकार का अनुसूचित वाणिज्य बैंक है।
मुद्रा बैंक (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी बैंक)
इसकी स्थापना 8 अप्रैल 2015 को ₹20,000 करोड़ की पूंजी के साथ किया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसका उद्देश्य सूक्ष्म उद्यम इकाईयों को ऋण उपलब्ध कराना है। यह तीन तरह के ऋण देता है। शिशु ऋण (50,000 रुपये तक), किशोर ऋण (50,000-5लाख रुपए तक) तथा तरुण ऋण जो 5-10 लाख रुपए तक होता है।
इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कोआपरेशन आफ इंडिया (ICIC BANK)
इसकी स्थापना 1994 में हुई। इसका मुख्यालय मुम्बई में है। आईसीआईसीआई भारत की प्रमुख बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा संस्थान है। पहले इसका नाम ‘इंडस्ट्रियल क्रेडिट ऐण्ड इन्वेस्टमेन्ट कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया’ (भारतीय औद्योगिक ऋण और निवेश निगम) था। यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा बैंक है। बाजार कैपिटलाइजेशन की दृष्टि से भारत के निजी क्षेत्र का यह सबसे बड़ा बैंक है।
गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं
UTI (यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया)
देश में लघु बचतों को एकत्रित कर के पूंजी बाजार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 1964 में यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया की हुई। इसका मुख्यालय मुम्बई में है।
NABARD (नेशनल बैंक फार एग्रीकल्चर एंड रुरल डेवलपमेंट)
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, नाबार्ड की स्थापना 12, जुलाई 1982 को शिवरमन समिति की सिफारिश पर हुई। इसका मुख्यालय मुम्बई में है। यह देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु वित्त उपलब्ध कराने वाली सबसे बड़ी संस्था है।
SIDBI (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक):
लघु और मध्यम उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 02 अप्रैल 1990 में इसका गठन हुआ। SIDBI का मुख्यालय लखनऊ में है।
IFCI (इंडस्ट्रियल फाइनेंस कार्पोरेशन आफ इंडिया)
भारतीय औद्योगिक वित्त निगम: औद्योगिक संस्थानों को दीर्घ और मध्यम अवधि के ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इसका गठन किया गया। इसका मुख्यालय मुंबई में है।
EXIM (एक्सपोर्ट एंड इंपोर्ट बैंक आफ इंडिया)
भारतीय आयात निर्यात बैंक: 1982 में स्थापित। इसका मुख्यालय मुम्बई में है।
HDFCI (हाउसिंग डेवलपमेंट को-आपरेशन आफ इंडिया)
इसकी स्थापना मुंबई में 1994 में की गई।यह 1995 से एक वाणिज्यिक बैंक के रूप में काम करना शुरू किया।
मौद्रिक नीति
जिस नीति के अनुसार RBI मुद्रा की आपूर्ति का नियमन करता है उसे मौद्रिक नीति (Monetary policy) कहते हैं। इसका उद्देश्य देश का आर्थिक विकास एवं आर्थिक स्थायित्व सुनिश्चित करना होता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निम्नलिखित मौद्रिक नीति या साख नीति लागू की जाती है-
- बैंक दर: RBI द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को जिस दर पर दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराया जाता है, उसे बैंक दर कहते हैं।
- रेपो दर: RBI द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को जिस दर पर अल्पकालिक ऋण प्रदान किया जाता है उसे रेपो रेट कहते हैं। बैंकों को अपने रोज के काम लिए अक्सर बड़ी रकम की जरूरत होती है। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और तब ही बैंक ब्याज दरों में भी कमी करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके। अब अगर रेपो दर में बढ़ोतरी का सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। ऐसे में जाहिर है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करते हैं, वह भी उन्हें बढ़ाना होगा।
- रिवर्स रेपो रेट: यह वह दर जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों से धन उधार लेता है।
रिवर्स रेपो रेट ऊपर बताए गए रेपो रेट से उल्टा होता है। इसे ऐसे समझिए: बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद बहुत बार एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के बजाय रिजर्व बैंक में रख सकते हैं, जिस पर उन्हें रिजर्व बैंक से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। वैसे कई बार रिजर्व बैंक को लगता है कि बाजार में बहुत ज्यादा नकदी हो गई है तब वह रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी कर देता है। इससे होता यह है कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने लगते हैं। - नकद आरक्षी अनुपात (CRR): भारतीय रिजर्व बैंक, अनुसूचित बैंकों की जमाओं का एक निर्धारित प्रतिशत नकदी में अपने पास जमा रखता है उसे नकद आरक्षी अनुपात कहते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर किसी भी मौके पर एक साथ बहुत बड़ी संख्या में जमाकर्ता अपना पैसा निकालने आ जाएं तो बैंक डिफॉल्ट न कर सके। आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बिना बाजार से लिक्विडिटी कम करना चाहता है, तो वह सीआरआर बढ़ा देता है। इससे बैंकों के पास बाजार में कर्ज देने के लिए कम रकम बचती है। वहीं सीआरआर को घटाने से बाजार में नकदी की सप्लाई बढ़ जाती है।
- वैधानिक तरलता अनुपात (SLR): रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के अंतर्गत प्रत्येक अनुसूचित बैंकों को अपनी जमाओं का एक निश्चित प्रतिशत राशि अपने पास सोना, विदेशी मुद्रण पत्र या नकदी के रूप में रखना होगा है, उसे वैधानिक तरलता अनुपात कहते हैं।
Thanks for artical
It’s my pleasure 🙂
thanks
Thaks sir
It very useful article
Psu bank aur postal bank of india kya hai?
Thank you sir 😊👍 .. very very thank you
Main bhi e banking sector mein main main Jana chahta hun kripya karke mujhe jankari dijiye main kaise banking sector mein enter karo dhanyvad
यदि आप बैंक में नौकरी चाहते हैं तो आपको IBPS की तैयारी करनी पड़ेगी। यदि आप e-banking के जरिए बिजनस करना चाहते हैं तो आपको इंटरनेट बैंकिंग सीखना होगा। और अगर आप स्वयं का e-bank खोलना चाहते हैं तो उसका अलग प्रोसीजर है।
Apki jankari mujhe bahut achhi lagi ..pls ek aur new update bala post kijiye