पोषक तत्व
वे पदार्थ जो जीवो में विविध जैविक कार्यों का संचालन करने के लिए आवश्यक होते है, पोषक तत्व (न्यूट्रिएंट) कहलाते है। यह दो प्रकार के होते है।
पोषक तत्व
पोषक तत्व दो प्रकार के होते हैं।
- वृहद अणु – कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन वसा
- सूक्ष्म अणु- विटामिन खनिज।
उपर्युक्त न्यूट्रिएंट को कार्बन की मात्रा के आधार पर दो प्रकार से बांट सकते है।
पोषक पदार्थ दो प्रकार के होते हैं:
कार्बनिक पदार्थ
जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा विटामिन ,न्यूक्लिक अम्ल
अकार्बनिक पदार्थ
खनिज लवण, जल
कार्बोहाइड्रेट
यह कार्बन हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के अणु होते हैं।
1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के जलन 4kcl ऊर्जा मिलती है।
भोज्य पदार्थों के रूप में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सबसे अधिक होती है इसलिए कार्बोहाइड्रेट से सबसे अधिक ऊर्जा मिलती है।
यह जंतुओं में बाह कंकाल बनाते हैं जैसे कीटों के कणों इत्यादि जंतुओं का बाह कंकाल काइटीन नामक कार्बोहाइड्रेट का बना होता है।
कार्बोहाइड्रेट का स्त्रोत गेहूं, चावल, जौ, आलू ,सब्जियां आदि है।
कार्बोहाइड्रेट तीन प्रकार के होते हैं।
- एकल शर्करा
- द्वीशर्करा
- बहुशर्करा
एकल शर्करा सरल कार्बोहाइड्रेट है जो कार्बन परमाणु 1 से 10 तक होते हैं 6 कार्बन परमाणु एवं पांच कार्बन परमाणु शर्करा शरीर के लिए उपयोगी होती है जैसे ग्लूकोज, फ्रुक्टोज, मेनोज, ग्लेक्टोज,डेक्सट्रोज
आदि। 6 कार्बन परमाणु वाले एकल शर्कराएं हैं। जबकि पांच कार्बन परमाणु वाले आरएनए एवं डीएनए होती हैं। ग्लूकोस शरीर का इंधन कहलाता है। फ्रुक्टोज को फल शर्करा भी कहते हैं जो सभी शर्करा में सबसे मीठी होती है।
प्रोटीन
प्रोटीन कार्बन हाइड्रोजन ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन के अणुओं होते हैं।
प्रोटीन शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करता है। प्रोटीन का स्त्रोत दूध ,अंडा ,मांस मछली, दाल ,पनीर आदि है।
प्रोटीन तीन प्रकार के होते हैं।
- सरल प्रोटीन,
- संयुग्मी प्रोटीन,
- व्युत्पन्न प्रोटीन।
वे प्रोटीन जो केवल अमीनो अम्ल के बने होते हैं सरल प्रोटीन कहलाते हैं। जैसे एल्बुमिन, ग्लोब्यूमिन, प्रोलमिंस, ग्लूरेमिंस आदि।
जब अमीनो अम्ल की श्रृंखला में कोई दूसरा समूह पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़ जाता है तो कंज्यूगेटेड प्रोटीन का निर्माण होता है। जैसे हीमोग्लोबिन, साइटोक्रोम हेपरिन ,कीरेटिंन म्यूसीन आदि।
व्युत्पन्न प्रोटीन ऐसे प्रोटीन होते हैं जो अमीनो अम्ल की श्रृंखला में एक से अधिक पदार्थ पेप्टाइड बॉन्ड द्वारा जोड़े होते हैं जैसे इंसुलिन फैब्रिन आदि।
शरीर में 20 प्रकार के अमीनो अम्ल होते हैं जिसमें कुछ आवश्यक अमीनो अम्ल होते हैं और कुछ अनावश्यक अमीनो अम्ल होते हैं।
वसा
यह कार्बन हाइड्रोजन ऑक्सीजन के अणु होते हैं वसा तीन प्रकार की होती है सरल वसा संयुग्मी वसा और व्युत्पन्न वसा।
संतृप्त वसा जंतुओं यह जंतुओं से बने उत्पादों से प्राप्त होता है जो हमारे शरीर में एल डी एल पी का निर्माण करता है इस प्रकार की वसा जल या रक्त में घुलनशील होती है।
वसीय अम्ल का प्रत्येक अणु ग्लिसरोल इस्टर बंद द्वारा जुड़ा रहता है।
असंतृप्त वसा वनस्पतियों या वनस्पतियों से बने उत्पादों से प्राप्त होता है जो हमारे शरीर में एच डी एल पी का निर्माण करती है जो जल में घुलनशील है। रिफाइंड तेल असंतृप्त वसाए हैं।
खनिज
भूमि से प्राप्त होने वाले तत्वों को खनिज कहते हैं जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक है जिसकी सूक्ष्म मात्रा में उपापचयी की क्रियाओं के नियंत्रित करने के साथ शरीर के कई अन्य कार्यों के लिए यह उपयोगी होता है। यह हमारे शरीर में दो से तीन प्रतिशत होता है इन्हें हम भोज्य पदार्थों एवं दूसरे जंतुओं से प्राप्त करते हैं अर्थात खनिज हमारे शरीर में रचनात्मक और संरचनात्मक कार्य की भूमिका निभाते हैं।
कुछ विभिन्न प्रकार के खनिज निम्न प्रकार है जैसे सोडियम आयरन आयोडीन फास्फोरस कैल्शियम मैग्नीशियम पोटेशियम क्लोरीन क्लोरीन कोबाल्ट मैगनीज इत्यादि
विटामिन
विटामिन विभिन्न प्रकार के कार्बनिक योगिक है जिनका संश्लेषण जंतुओं के शरीर में नहीं होता है यह भोजन के रूप में एक से दूसरे जंतुओं यह पौधों से ग्रहण किए जाते हैं जिनकी पोषण में सूक्ष्म मात्रा में आवश्यकता पड़ती है इनकी कमी से उपापचायी रोग होता है।
विटामिन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम केजीमीर फंक ने 1911 में किया था। जो निम्न प्रकार है।
- विटामिन a (रेटिनोल)
- विटामिन b1 (थायमिन) विटामिन b2 (राइबोफ्लेविन)
- विटामिन b3(निकोटिनामाइड)
- विटामिन b5 (पेंटोथिनिक अम्ल)
- विटामिन b6 pyridoxine
- विटामिन b12 कोबालामाइन
- विटामिन C एस्कॉर्बिक अम्ल
- विटामिन D कैल्शीफोरोल
- विटामिन E टेकोफेरोल
- विटामिन k फिलोक्विनोन
- विटामिन H बायोटिन