संयुक्त राष्ट्र महासभा United Nation General Assembly (UNGA)

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA)

संयुक्त राष्ट्र महासभा संयुक्त राष्ट्रसंघ  के 6 प्रमुख अंगों में से एक है। संयुक्त राष्ट्रसंघ (United Nations: UN) वह संगठन है जो पूरे विश्व में अंतराष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण काम करता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा एक ऐसा मंच है, जो दुनिया भर के तमाम छोटे-बड़े सदस्य देशों को अपनी आवाज़, अपने मुद्दे और चिंताओं को उजागर करने का अवसर प्रदान करता है।

महासभा के कार्य और अधिकार एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कि भूमिका

संयुक्त राष्ट्र महासभा की 10जनवरी 1946 को पहली बैठक लन्दन में वेस्टमिंस्टर में हुई जिसमें 51देशों के सदस्यों ने भाग लिया। अभी वर्तमान में 193 देश संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्य हैं।

24,जनवरी 1946 को संयुक्त राष्ट्र महासभा का पहला प्रस्ताव पारित किया जिसमें परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना पर जोर देना था और महाविनाश के अन्य हथियारों के उन्मूलन के लिए प्रयास करने पर जोर देना था।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के कार्य और अधिकार:

  1. अंतराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाये रखने के लिए विचार विमर्श करना और सुझाव देना।
  2. संगठन के अधिकारों और कार्यों को प्रभावित करने वाले प्रश्नों पर शिफारिस करना ।
  3. अंतराष्ट्रीय राजनितिक सहयोग को बढ़ावा देना।
  4. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय सहभागिता बढ़ाना।
  5. राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधो को बढ़ावा देना।
  6. सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र संगठन के प्रतिवेदनों को प्राप्त करना।
  7. संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट और सदस्यों के बीच अंशदान के बॅंटवारे पर विचार और अनुमति प्रदान करना।
  8. सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों, आर्थिक और सामाजिक परिषद के सदस्यों का चयन करना।
  9. सुरक्षा परिषद के साथ संयुक्त रूप से अंतराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव करना।
  10. सुरक्षा परिषद कि शिफारिस पर महासचिव नियुक्त करना शामिल है |

संयुक्त राष्ट्र महासभा की समितियां

  1. निशस्त्रीकरण और अंतराष्ट्रीय सुरक्षा समिति।
  2. आर्थिक और वित्तीय समिति।
  3. सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक समिति।
  4. विशेष राजनितिक और विमुद्रीकरण समिति।
  5. प्रशासनिक और बजटीय समिति।
  6. कानूनी समिति।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद : गठन और संरचना

मूल रूप से सुरक्षा परिषद में 11सदस्य थे, 1965 में सदस्यों की संख्या 11से बढाकर 15 किया गया। अब संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई और दस अस्थाई सदस्य होते हैं।

स्थाई सदस्य हैं:

  1. अमरीका,
  2. फ्रांस,
  3. ब्रिटेन,
  4. रूस और
  5. चीन।

अस्थाई सदस्यों में पांच एशियाई अफ़्रीकी देशों से, एक पूर्वी यूरोप से, दो लैटिन अमेरिकी से बाकी दो सदस्य पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों से लिए जाते हैं। अस्थाई सदस्यों का कार्यकाल 2 वर्ष का होता है। अस्थाई सदस्यों का निर्वाचन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दो तिहाई मतों द्वारा किया जाता है।

पांच अस्थाई सदस्य हर साल सेवा मुक्त हो जाते है। अस्थाई सदस्यों के चयन का आधार अंतराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान और भौगोलिक क्षेत्रों का खास ख्याल रखा जाता है।

अध्यक्षता हर महीने क्रम के अनुसार बदलती रहती है। अध्यक्षता का आधार सदस्य राष्ट्रों के नामों का अंग्रेजी वर्णक्रम होता है।

प्रत्येक सदस्य को एक मत प्राप्त होता है, अंतिम निर्णय के लिए सभी पांच स्थाई सदस्यों कि स्वीकृति जरुरी होती है। गंभीर मसलों के निर्णय के लिए 9 सदस्यों की अनुमति आवश्यक होती है। 9 सदस्यों में पांच स्थाई सदस्यों का शामिल होना जरुरी होता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कार्य और अधिकार

  • सुरक्षा परिषद को कूटनीतिक, आर्थिक और सैनिक कार्यवाही करने का अधिकार होता है।
  • नए राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र की सदस्य्ता प्रदान करना,
  • संयुक्त राष्ट्र के महासचिव का चयन,
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायधीशों की नियुक्ति करना आदि सुरक्षा परिषद के कार्य हैं।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की प्रसंगिकता पर एक नजर

संयुक्त राष्ट्रसंघ की भूमिका पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। फिलिस्तीन, बांग्लादेश, बोस्निया हिंसा, सूडान और सीरिया में नरसंहार रोकने में नाकाम रहा, आंतकवाद ख़त्म करने में भी कभी कोई खास कदम नहीं उठा पाया।

विवादित फैसले लिए और कई बड़े देशों को फैसले लेने से रोकने में भी कामयाब नहीं रहा है जैसे, इराक पर अमेरिका का हमला, लीबिया में पश्चिम देशों की कार्यवाही, अफगानिस्तान में नाटो सेना का जाना, यमन में सऊदी गठबंधन का हमला, सीरिया में मजबूत देशों की मनमानी कार्यवाही इनमें संयुक्त राष्ट्र ने कोई कार्यवाही नहीं की।

UNSC स्थाई सदस्यता के लिए भारत का दावा कई कारणों से उचित और मजबूत है। जैसे –

  • संयुक्त राष्ट्र में शांति अभियानों में सबसे ज्यादा योगदान। दुनिया भर में 8500 से अधिक भारतीय शांति सैनिक तैनात हैं। संयुक्त राष्ट्र की पांच बड़ी शक्तियों के शांति सैनिकों से दोगुनी संख्या भारतीय शांति सैनिकों की है।
  • भारत की आबादी 1.3 बिलियन और 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की अर्थव्यवस्था है।
  • भारत परमाणु शक्ति संपन्न जिम्मेदार देश है।
  • जनसंख्या के साथ क्षेत्रीय आकार, जीडीपी, आर्थिक क्षमता, सम्पन्न विरासत सांस्कृतिक विविधिता के पैमाने पर भी भारत खरा उतरता है।
  • दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था हमारी है।
  • एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • चीन को छोड़कर चार स्थाई सदस्य भारत के पक्ष में है।
  • अफ़्रीकी यूनियन, लैटिन अमरीकी, मध्य पूर्वी देशों का समर्थन के अलावा अल्पविकसित देशों ने भी समय-समय पर इस मुद्दे में भारत का साथ देते रहे हैं।
  • भारत सात बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सदस्य रहा है। तथा G-20 जैसे ताकतवर और प्रभावी संगठन का सदस्य भी है।
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