शिवाजी के उत्तराधिकारी :
सम्भा जी (1680-1689):
- शिवाजी की मृत्यु के बाद उनका बड़ा पुत्र संभाजी छत्रपति बना।
- उसने अपने मित्र कवि कलश को अपना सलाहकारनियुक्त किया।
- सम्भा जी ने औरंगजेब के विद्रोही पुत्र अकबर को शरण दिया; इसलिए औरंगजेब ने मुकर्रब खान के नेतृत्व में उसके खिलाफ मुगल सेना भेजी।
- 1689 में संगमेश्वर के युद्ध में पराजित होने के बाद सम्भा जी और कवि कलश की बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी गई।
- रायगढ़ का किला भी मुगलों ने जीत लिया और राजकुमार शाहू बंदी बना लिया गया।
- शाहू को औरंगजेब की पुत्री जीनत उल निशा ने अपने बेटे की तरह पाला।
- लेकिन छत्रपति सम्भा जी की हत्या की घटना ने मराठों को उद्वेलित कर दिया और बदले की भावना से प्रेरित मराठों ने राजाराम के नेतृत्व में एकजुट होकर मुगल साम्राज्य के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम आरंभ कर दिया।
राजाराम (1689-1700):
- रायगढ़ में मुगलों का कब्जा हो जाने के बाद शिवाजी का दूसरा बेटा राजाराम जिंजी के किले में चला गया।
- राजाराम ने शाहू के प्रतिनिधि के रूप में जिंजी से ही औरंगजेब और मुगलों के खिलाफ मराठों का नेतृत्व किया।
- जिंजी अभियान में मुगल सेनापति जुल्फिकार खान था।
- जिंजी पर मुगलों का कब्जा होने पर राजाराम विशालगढ़ चला गया तथा वहां आक्रमण होने पर सतारा चला गया।
शिवाजी द्वितीय (1700-1707)
- राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा ताराबाई ने अपने चार वर्षीय पुत्र को शिवाजी द्वितीय के नाम से मराठा राज गद्दी पर बिठाया।
शाहू (1707-1749)
- रायगढ़ किले के पतन के समय (1689) से शाहू मुगलों की कैद में था।
- 03 मार्च, 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गई।
- 1707 में औरंगजेब के पुत्र आजम शाह ने जुल्फिकार खान की सलाह पर शाहू को महाराष्ट्र वापस जाने दिया ताकि मराठों में फूट पड़ जाए।
- महाराष्ट्र में शाहू का स्वागत हुआ और नवंबर 1707 में खेड़ा के युद्ध में ताराबाई को पराजित कर छत्रपति बना।
- 1708 को शाहू ने सतारा में अपना राज्याभिषेक कराया।
- 1714 में राजाराम की दूसरी पत्नी राजस बाई ने कोल्हापुर में अपने पुत्र को शम्भा जी द्वितीय के नाम से छत्रपति घोषित कर दिया। हालांकि वास्तविक छत्रपति शाहू ही था।
- 1731 की वार्ना की संधि शाहू और शम्भा जी द्वितीय के बीच हुई जिसमें शाहू ने कोल्हापुर में शम्भा जी द्वितीय की सत्ता को मान्यता दे दी।