जहांगीर की मृत्यु के बाद शहजादा खुर्रम शाहजहां के नाम से मुगल बादशाह बना।
खुर्रम की माता जगत गोसाईं जोधपुर के राजपूत राजा उदय सिंह की पुत्री थी।
मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहां ने कराया था।
इसका विवाह 1612 नूरजहां के भाई आसफ खां की पुत्री अर्जुमंद बानो बेगम से हुआ।
अर्जुमंद बानो बेगम ही मुमताज महल के नाम से प्रसिद्ध हुई।
शाहजहां के शासन काल में बहुत से विद्रोह हुए। इनमें सबसे पहा विद्रोह खान ए जहां लोधी का था।
जुझार सिंह के नेतृत्व में 1628-29 ईस्वी में बुंदेलों ने भी विद्रोह कर दिया।
1632 में हुगली स्थित पुर्तगालियों को पराजित किया।
शाहजहां ने अहमदनगर के सुल्तान के विरुद्ध युद्ध किया तथा खान ए जहां लोधी से संधि कर लिया।
1636 ई में अहमदनगर का विलय मुगल साम्राज्य में कर लिया गया।
शाहजहां ने बीजापुर के सुल्तान महमूद आदिलशाह को भी मुगलों की अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया।
अली मरदान ने 1638 ई में कंधार मुगलों को सौंप दिया था, परंतु शाह अब्बास द्वितीय ने 1648 में मुगलों से कंधार छीन लिया।
शाहजहां ने दिल्ली के निकट शाहजहांनाबाद नगर की स्थापना की और राजधानी आगरा से दिल्ली शाहजहांनाबाद परिवर्तित किया।
इसी स्थान पर उसने सुरक्षा दुर्ग का निर्माण कराया जो लाल किला के नाम से प्रसिद्ध है।
शाहजहां ने लाल किले में दीवान ए आम तथा दीवान ए खास बनवाया।
बादशाह के दरबार के दौरान दीवान ए आम में सामान्य नागरिकों के लिए बैठने की व्यवस्था होती थी जबकि दीवान ए खास में अतिविशिष्ट लोग ही बैठते थे।
शाहजहां ने स्वयं अपना तथा अपनी पत्नी मुमताज महल का मकबरा आगरा में बनवाया जो ताजमहल के नाम से प्रसिद्ध है।
ताजमहल के निर्माण में प्रयुक्त होने वाला संगमरमर मकराना, राजस्थान से लाया गया।
ताजमहल के वास्तुविद उस्ताद इशा खां और उस्ताद अहमद लाहौरी थे।
इसके अलावा शाहजहां ने आगरा में मोती मस्जिद तथा दिल्ली में जामा मस्जिद का निर्माण कराया।
लेकिन लाल किले के अन्दर के मोती मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने कराया था।
दो फ्रांसीसी: फ्रांस्वा बर्नियर (Francois Bernier) (चिकित्सक) तथा ट्रैवनियर (जवाहरात और मोतियों का जानकार) शाहजहां के समय में भारत आए।
शाहजहां के दरबार में कवींद्र आचार्य सरस्वती तथा पंडितराज जगन्नाथ संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे।
पंडितराज जगन्नाथ ने रसगंगाधर तथा गंगा लहरी नामक ग्रन्थों की रचना की।
शाहजहां के चार पुत्र थे- दारा शिकोह, शाह शुजा, औरंगजेब और मुराद।
शाहजहां का बड़ा पुत्र दारा शिकोह एक विद्वान तथा उदार व्यक्ति था। उसने उपनिषदों का सर्र ए अकबर के नाम से फारसी में अनुवाद करवाया।
1652 ई में शाहजहां ने औरंगजेब को दक्खन का वायसराय बनाकर भेजा था।
शाहजहां के बीमार हो जाने के बाद उसके पुत्रों में उत्तराधिकार का युद्ध छिड़ गया।
धरमत का युद्ध(1658) उत्तराधिकार की मुख्य लड़ाई थी जिसमें औरंगजेब ने दारा शिकोह को हरा दिया।
1658 में सामूगढ़ की लड़ाई में विजय प्राप्त करते हुए औरंगजेब ने राजधानी पर कब्जा कर लिया तथा अपने पिता बादशाह शाहजहां को आगरा के किले में कैद कर लिया।
1666 ई० में कैद में ही शाहजहां की मौत हो गई।
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2 thoughts on “मुगल साम्राज्य: शाहजहां”
Mughal Samrajya ko our aur vistar se likhiye Juki competition ka level bahut kam hai aur thoda vistas likhte Hai To Hum log ki taiyari Achha Sila Sakta
Mughal Samrajya ko our aur vistar se likhiye Juki competition ka level bahut kam hai aur thoda vistas likhte Hai To Hum log ki taiyari Achha Sila Sakta
जरुर मणिलाल जी. हमने मुग़ल साम्राज्य के इतिहास को शासक के अनुसार अलग-अलग लेखों में प्रकाशित किया है.