मुगल साम्राज्य: बाबर और हुमायूं
बाबर(1526-30ई०):
12 अप्रैल, 1526 को पानीपत के प्रथम युद्ध में भारत के अफगान शासक इब्राहिम लोदी को परास्त कर दिया। इस युद्ध में भारत में पहली बार तोपखाना का इस्तेमाल बाबर की ओर से किया गया। इसके अलावा, मंगोल सेना और तुलुगमा व्यूह रचना का प्रयोग भी बाबर की विजय के महत्वपूर्ण कारण थे।
आगरा से 40 किमी दूर बाबर और राणा सांगा की सेनाओं में खानवा का युद्ध (16 मार्च, 1527) हुआ। राणा संग्राम सिंह की पराजय हुई। बाबर ने इसी युद्ध में जेहाद का नारा दिया तथा विजयी होकर गाजी की उपाधि धारण की। 1528 ई० में बाबर ने चंदेरी के मेदिनीराय को हराया। घाघरा का युद्ध 1529 ई० में हुआ। इस लड़ाई में बंगाल की ओर बढ़ कर बाबर ने अफ़गानों को पराजित किया।
हुमायूं (1530-56 ई०):
बाबर की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र हुमायूं 23 वर्ष की अवस्था में आगरा के सिंहासन पर बैठा। हुमायूं ने अपने भाई कामरान को काबुल और कंधार, मिर्ज़ा अस्करी को संभल, हिंदाल को अलवर और मेवात की जागीर दी। अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्ज़ा को हुमायूं ने बदख्शां का प्रदेश दिया। 1533 में हुमायूं ने दीनपनाह नामक नगर की स्थापना की। 1534-35 में हुमायूं ने मालवा और गुजरात पर आक्रमण किया।
हुमायूं तथा शेर खां (शेरशाह) के बीच चौसा नामक स्थान पर 1539 ई० में युद्ध हुआ, जिसमें मुगलों की पराजय हुई। चौसा की जीत के बाद शेर खां ने शेरशाह की उपाधि धारण की। शेरशाह का वास्तविक नाम फरीद था।
27 मई, 1540 में कन्नौज के निकट बिलग्राम में शेरशाह और हुमायूं के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में हुमायूं बुरी तरह पराजित हुआ। हुमायूं को हिंदूस्तान से बाहर भागना पड़ा। 15 साल बाद हुमायूं ने फिर से हिंदुस्तान जीत लिया। 1556 में लाहौर में पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर कर हुमायूं की मृत्यु हो गई।
chousa ka yudh 1539 m huwa tha ya1529 m
चौसा का युद्ध सन 1539 में हुआ था. त्रुटी सुधारी गयी. धन्यवाद चंदन जी.