मगध साम्राज्य का उदय

मगध साम्राज्य

  • बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय एवं जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।
  • इन 16 महाजनपदों में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली था।

वार्हद्रथ वंश

  • मगध का पहला ज्ञात राजवंश वार्हद्रथ था। इसकी स्थापना वृहद्रथ ने की थी। उसकी राजधानी राजगृह या गिरिव्रज थी।
  • जरासंध वृहद्रथ का पुत्र था। वह इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था ।

हर्यक वंश

  • बिंबिसार ने 545 ईस्वी पूर्व में मगध के हर्यक वंश की स्थापना की।
  • बिंबिसार भारत का पहला शासक था जिसने स्थाई सेना रखने की प्रथा आरंभ की इस कारण से बिंबिसार को सौणिय या श्रोणिक भी कहा गया।
  • महावंश के अनुसार बिंबिसार ने 52 वर्षों तक शासन किया।
  • बिंबिसार ने कौशल नरेश प्रसेनजित की बहन कोशला, वैशाली के चेटक की पुत्री चेल्लना तथा पंजाब की राजकुमारी क्षेमामद्र से विवाह किया।
  • बिंबिसार ने अंग शासक ब्रम्हदत्त को हराकर उसका राज्य मगध में मिला लिया।
  • बिंबिसार ने विशाल साम्राज्य की स्थापना की।
  • उसकी राजधानी गिरिव्रज थी तथा राजगृह को नई राजधानी बनाया।
  • बिंबिसार बौद्ध धर्म का अनुयायी था।
  • बिंबिसार ने महात्मा बुद्ध एवं अवंती राज प्रद्योत की सेवा में राजवैद्य जीवक को भेजा।
  • बिंबिसार ने अपने पुत्र अजातशत्रु को अंग का प्रांतपति नियुक्त किया।
  • बौद्ध साहित्य के अनुसार 493 ईसापूर्व में बिंबिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने कर दी।
  • अजातशत्रु 493 ईसापूर्व में मगध की गद्दी पर बैठा।
  • अजातशत्रु ने उत्तर में वैशाली के शक्तिशाली वज्जि संघ से युद्ध किया। इस युद्ध में दो नवीन युद्धास्त्रों रथमूसल एवं महाशिलाकंटक (पत्थर फेंकने वाली मशीन) का प्रयोग किया था।
  • अजातशत्रु जैन धर्म का अनुयायी था परंतु बाद में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।
  • अजातशत्रु ने 32 वर्षों तक मगध पर शासन किया।
  • अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उदयन में 462 ईसवी पूर्व में कर दी।
  • उदयन पाटलिपुत्र की स्थापना की।
  • उदयन के शासनकाल में पहली बार पाटलिपुत्र मगध की राजधानी बनी।
  • उदयन जैन धर्म को मानता था। उसने लगभग 16 वर्ष तक राज्य किया।
  • हर्यक वंश का अंतिम राजा उदयन का पुत्र नागदशक था।

शिशुनाग वंश

  • 412 ईसापूर्व में नागदशक को उसके अमात्य शिशुनाग ने अपदस्थ करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना की।
  • शिशुनाग ने पाटलिपुत्र के स्थान पर वैशाली को अपनी राजधानी बनाई।
  • शिशुनाग ने अवन्ति पर विजय प्राप्त कर उसे मगध साम्राज्य में मिला लिया।
  • 396 ईसापूर्व में शिशुनाग की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र कालाशोक मगध का राजा बना।
  • कालाशोक ने फिर से पाटलिपुत्र को मगध साम्राज्य की राजधानी बनाया।
  • शिशुनाग वंश का अंतिम शासक नंदिवर्धन था।

नंद वंश

  • शिशुनाग वंश के पतन के पश्चात मगध में नंद वंश की स्थापना हुई।
  • पुराणों के अनुसार नंद वंश का संस्थापक महा पद्मनंद था।
  • खारवेल का हाथीगुंफा अभिलेख से पता चलता है कि नंद राजा का कलिंग पर भी अधिकार था।
  • नंद राजा ने वैशाली के समीप स्थित मिथिला राज्य को भी मगध का अंग बना लिया।
  • मैसूर के अनेक अभिलेखों से ज्ञात होता है कि दक्षिण भारत के अनेक भागों पर नंद शासक का अधिकार था।
  • नंद वंश ने 322 ईसापूर्व तक राज्य किया इस वंश का अंतिम शासक धनानंद था।
  • सिकंदर का भारत पर आक्रमण धनानंद के शासन काल में ही हुआ।
  • 322 ईसापूर्व में मौर्यवंशी चन्द्रगुप्त ने चाणक्य की सहायता से धनानंद को पराजित कर मगध में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
दोस्तों के साथ शेयर करें

3 thoughts on “मगध साम्राज्य का उदय”

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *