परमाणु संरचना
जॉन डाल्टन ने 1803 में परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया जिसके अनुसार परमाणु अविभाज्य माना गया। लगभग पूरी 19वीं शताब्दी तक यही माना जाता रहा है कि परमाणु तत्व की अविभाज्य इकाई है, परंतु 19वीं शताब्दी के आखिरी दशक में वैज्ञानिकों ने प्रमाणित कर दिया कि परमाणु का विभाजन हो सकता है तथा परमाणु की एक विशिष्ट संरचना होती है।
आधुनिक अनुसंधानों से पता चला कि परमाणु संरचना कई प्रकार के अति सूक्ष्म कणों से होता है। इनमें इलेक्ट्रान, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मुख्य हैं। सभी तत्वों के परमाणुओं को निर्मित करने वाले इन तत्त्वों को मौलिक कण (फंडामेंटल पार्टिकल्स) कहा जाता है।
परमाणु वह छोटे से छोटा कण है जो रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है, परंतु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता।
परमाणु के मौलिक कण
इलेक्ट्रान
इलेक्ट्रान की खोज का श्रेय जे जे थाम्सन को है। इलेक्ट्रान लगभग शून्य द्रव्यमान का ऋणावेशित कण है।
प्रोटॉन
प्रोटॉन परमाणु के अंदर ऐसा कण है जिसमें इकाई धन आवेश होता है। इसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के लगभग बराबर होता है। प्रोटॉन की खोज रदरफोर्ड ने की।
न्यूट्रॉन
जैसे कि नाम स्पष्ट है यह न्यूट्रल अर्थात् उदासीन कण है। इसमें किसी तरह का आवेश नहीं होता। इसका भार प्रोटॉन के बराबर होता है। न्यूट्रॉन की खोज चेडविक ने की।
रदरफोर्ड का नाभिकीय सिद्धान्त
इस सिद्धान्त के अनुसार परमाणु संरचना निम्न प्रकार से होती है :-
1. परमाणु का एक नाभिक होता है जिसमें प्रोटॉन होते हैं। यह भारी नाभिक इलेक्ट्रानों से घिरे केंद्र में होता है।
2. परमाणु के अंदर का अधिकांश भाग खाली होता है।
3. परमाणु का आकार गोलीय होता है।
4. परमाणु के नाभिक का आकार पूरे परमाणु की तुलना में काफी छोटा होता है।
5. रदरफोर्ड ने परमाणु संरचना की व्याख्या करने के लिए परमाणु के सौर मॉडल की परिकल्पना की जिसके अनुसार ऋणावेशित इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार पथों में अनवरत गति करते हुए परमाणु को स्थायित्व प्रदान करते हैं।
रदरफोर्ड के परमाणु संरचना के दोष
रदरफोर्ड का सिद्धांत परमाणु के स्थायित्व की संतोषजनक व्याख्या नहीं करता। उनके परमाणु मॉडल से यह भी स्पष्ट नहीं है कि इलेक्ट्रान अपनी निश्चित कक्षाओं में परिभ्रमण करते हैं या फिर यत्र-तत्र घूमते रहते हैं।
मैक्स प्लैंक का क्वांटम सिद्धांत
इस सिद्धान्त के अनुसार किसी वस्तु से प्रकाश और ऊष्मा जैसी विकिरण ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण सतत नहीं होता, बल्कि असतत रूप से छोटे-छोटे बंडलों में होता है। इन छोटे-छोटे बंडलों को क्वांटम कहते हैं।
बोर का परमाणु मॉडल
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियों को दूर करने के लिए नील बोर ने अपने परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया। उसने मैक्स प्लैंक के क्वांटम सिद्धांत के आधार पर अपना सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसकी मुख्य बातें निम्नलिखित हैं :
1. परमाणु संरचना में परमाणु के नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रान अनियमित कक्षाओं में नहीं घूमते बल्कि कुछ चुनी हुई अनुमेय कक्षाओं में परिभ्रमण करते हैं।
2. अपनी-अपनी निश्चित कक्षाओं में परिभ्रमण करने से इलेक्ट्रानों की ऊर्जा में ह्रास नहीं होता।
3. जब इलेक्ट्रान कुछ ऊर्जा का अवशोषण कर लेता है तो वह अपनी निर्धारित कक्षा से बाहरी कक्षा में कूद जाता है। ऊर्जा का उत्सर्जन होने पर विद्युत चुम्बकीय तरंगे निकलती हैं और ऊर्जा का अवशोषण होने पर इन किरणों का अवशोषण होता है।
परमाणु संख्या
किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित धन आवेशित कणों अर्थात् प्रोटॉनों की संख्या को उस तत्व की परमाणु संख्या कहते हैं। किसी तत्व में धनावेशित कणों की संख्या ऋणावेशित कणों की बराबर संख्या में होती है। अतः
परमाणु संख्या (Z) = नाभिक में इकाई धन आवेशों की संख्या = प्रोटॉन की संख्या = इलेकट्रानों की संख्या।
उदाहरण के लिए हीलियम के परमाणु के नाभिक में दो प्रोटॉन होते हैं इसलिए हीलियम की परमाणु संख्या दो है। इसी प्रकार हाइड्रोजन की परमाणु संख्या एक है क्योंकि उसके नाभिक में केवल एक प्रोटॉन होता है।
द्रव्यमान संख्या
किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संख्याओं के योगफल को उस तत्व के परमाणु की द्रव्यमान संख्या कहा जाता है।
- हाइड्रोजन की द्रवयमान संख्या 1 है।
- हीलियम की द्रव्यमान संख्या 4 है।
- परमाणु संख्या और द्रव्यमान संख्या हमेशा पूर्णांकों में होती है।
बोर-ब्यूरी योजना
बोर-ब्यूरी योजना किसी परमाणु के परमाणुओं की कक्षाओं में इलेक्ट्रानों के विन्यास से संबंधित है। बोर और ब्यूरी ने अपनी योजनाओं को अलग अलग प्रस्तुत किया था लेकिन दोनों की योजनाओं में पर्याप्त समानता थी इन्हें संयुक्त नाम दिया गया। इस योजना के अनुसार :-
- किसी परमाणु की विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रानों की अधिकतम संख्या 2×n का वर्ग होती है(2n2), जहां n कक्षा की संख्या है।
- किसी परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा में 8 से अधिक इलेक्ट्रान नहीं रह सकते।
- किसी परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा की ठीक पहली वाली कक्षा में 18 से अधिक इलेक्ट्रान नहीं रह सकते चाहे उस परमाणु में इलेक्ट्रानों की कक्षाओं की संख्या कितनी ही क्यों न हों?
- किसी परमाणु की बाह्यतम कक्षा में 2 से अधिक और उससे पहली वाली कक्षा में 9 से अधिक इलेक्ट्रान तब तक उपस्थित नहीं रह सकते, जब तक कि अंतिम कक्षा से तीसरी कक्षा में इलेक्ट्रानों की संख्या नियम 1के अनुसार पूर्ण न हो जाए।
कक्षा या सेल
परमाणु के इलेक्ट्रान जिस घेरे में चक्कर लगाते हैं उसे उसकी कक्षा कहते हैं। अलग-अलग कक्षाओं में घूमने वाले इलेक्ट्रानों की ऊर्जा भिन्न भिन्न होती है इसलिए इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर भी कहा जाता है। परमाणु के नाभिक के पास वाली कक्षा में घूमने वाले इलेक्ट्रानों की ऊर्जा न्यूनतम होती है जबकि सबसे बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रानों की ऊर्जा अधिकतम होती है।
आधुनिक खोजों के अनुसार प्रत्येक कक्षा की उप कक्षाएं या सब सेल भी होती हैं।
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के कुछ उदाहरण
- सोडियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : Na (11) 2,8,1
- मैग्नीशियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : Mg (12) 2,8,2
- कैल्शियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : Ca (20) 2,8,8,2
संयोजी इलेक्ट्रान
किसी तत्व के परमाणु की बाहरी कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रान संयोजी इलेक्ट्रान कहलाते हैं क्योंकि रासायनिक क्रियाओं के दौरान ये ही इलेक्ट्रान अन्य तत्वों के परमाणुओं के संयोजी इलेक्ट्रानों से जुड़कर यौगिकों का निर्माण करते हैं।
चूंकि संयोजी इलेक्ट्रान परमाणु की बाहयतम कक्षा में होते हैं इसलिए इनकी ऊर्जा कोर इलेक्ट्रानों के मुकाबले अधिक होती है।
किसी तत्व के परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रानों की संख्या द्वारा उसकी संयोजकता निर्धारित होती है क्योंकि रासायनिक क्रियाओं में संयोजी इलेक्ट्रान ही भाग लेते हैं।
विभिन्न तत्वों के संयोजी इलेक्ट्रानों की संख्या समान हो तो उनके रासायनिक गुणों में भी समानता होती है।
मोल
मोल एक बहुत बड़ी संख्या है। लेकिन एक निश्चित संख्या है। यह एक ग्राम पदार्थ (तत्व या यौगिक) में उपस्थित परमाणु, अणु या आयन की निश्चित संख्या को दर्शाता है। यह संख्या 6.022×1023 है। इस संख्या को एवोगेड्रो संख्या भी कहते हैं। यह इतनी बड़ी संख्या है कि अगर प्रति सेकंड दस लाख गिनने वाली दस लाख मशीनें लगाई जाएं तो भी 19000 साल लगेंगे।
मोल या एवोगेड्रो संख्या को प्राय: N से व्यक्त किया जाता है। अतः
N = 6.022×1023
सार संक्षेप
- परमाणु वह छोटे से छोटा कण है जो रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है, परंतु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता।
- इलेक्ट्रान परमाणु के नाभिक का निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाने वाला ऋणावेशित कण होते हैं। इलेक्ट्रान की खोज जे जे थाम्सन ने की।
- प्रोटॉन परमाणु के नाभिक में उपस्थित धनावेशित कणों को कहते हैं। इसकी खोज गोल्डस्टीन ने की।
- न्यूट्रॉन कण भी परमाणु के नाभिक में होते हैं। ये उदासीन होते हैं। आवेश हीन होते हैं। इसकी खोज चेडविक ने की।
- जान डाल्टन ने अपने सिद्धांत में परमाणु को अविभाज्य इकाई माना था।
- परंतु रदरफोर्ड ने परमाणु के सौर मॉडल का सिद्धांत दिया जिसमें परमाणु के नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रान अपनी कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं।
- मैक्स प्लैंक ने क्वांटम सिद्धांत प्रतिपादित किया।
- परमाणु संरचना के संबंध में आधुनिक विचार बोर के परमाणु मॉडल पर आधारित है।
- किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित धन आवेशों की कुल संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं। जाहिर है यह प्रोटॉनों की संख्या है जो किसी परमाणु में इलेक्ट्रानों की संख्या के बराबर होती है।
- किसी तत्व के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रान की संख्याओं के योगफल को उस तत्व का द्रवयमान संख्या कहते हैं।
- किसी तत्व के परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा में स्थित इलेक्ट्रानों को संयोजी इलेक्ट्रान कहते हैं। यही इलेक्ट्रान रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेते हैं। यह उस तत्व की संयोजकता भी होती है।
- मोल एक बड़ी संख्या है। मोल किसी पदार्थ के एक ग्राम मात्रा में उपस्थित परमाणुओं/अणुओं की निश्चित संख्या है। यह 6.022×10 का घात 23 होता है।
Jon dalten n 1803m parmado ki sarnchana di thi bt uske badd kisne btaya tha ki yeh parmado bibhajit ho skte h
जे जे थॉम्पसन ने देखा की परमाणु से इलेक्ट्रॉन निकलती है और परमाणु की प्लम पुडिंग (Plum Pudding) मॉडल दिया। उन्होंने प्रतिपादित किया की परमाणु विभाजित हो सकती है, उनके हिसाब से इलेक्ट्रॉन का निकलना परमाणु का विभाजन जैसा ही था।
Sir Ek Baat per doubt Proton ke bare mein Proton ke khojkarta Koi To Rutherford Bata rahe ho aur aapane ismein goldston likh Rakha Hai
त्रुटि के लिए खेद है, अद्यतन किया गया। धन्यवाद।
Sir ji Proton ki khoj kisni ki thi koe Goldstein bata Raha hi koe Ratherfod
प्रोटॉन की खोज रदरफोर्ड ने किया था। Goldstein द्वारा ऐनोड किरणों की खोज के लिए जाने जाते हैं।