कोशिका की खोज, सिद्धांत और प्रकार
प्रत्येक जीवधारी का शरीर सूक्ष्मतम जीवित इकाइयों से बना होता है। कोशिका जीवों की आधारभूत संरचनात्मक और प्रकार्यात्मक इकाई है। यह एक विशिष्ट पारगम्य झिल्ली से घिरी होती है जिसे कोशिका कला (Cell membrane) कहते हैं। इसके अंदर जीवित पदार्थ होता है जिसे जीवद्रव्य (Cytoplasm) कहा जाता है। कोशिका में स्वजनन (Self Reproduction) की क्षमता होती है।
कोशिका विज्ञान (Cytology) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत कोशिकाओं और उसके अंदर की वस्तुओं की रचना और कार्यिकी (Physiology) का अध्ययन किया जाता है।
कोशिका की खोज
- कोशिका की खोज राबर्ट हुक ने की। उसने कार्क की एक पतली काट को सूक्ष्मदर्शी से देखकर मधुमक्खी के छत्ते जैसी अनेक सूक्ष्म संरचनाओं को पहचाना तथा इन्हें कोशा नाम दिया। ल्यूवेन हाक ने 1674 ई॰ में सर्वप्रथम जीवित कोशिकाओं के अन्दर के संघटन का अध्ययन किया।
- केंद्रक की खोज – राबर्ट ब्राउन 1831.
- जीवद्रव्य की खोज डुजार्डिन ने की जबकि पुरकिन्जे ने 1839 में जीवद्रव्य नाम दिया।
- विरचो ने 1855 में बताया कि नयी कोशिकाओं का निर्माण पहले से मौजूद कोशिकाओं से होता है।
- 1884 में स्ट्रासबर्गर ने बताया कि केंद्रक पैतृक लक्षणों को संतानों में ले जाने वाली क्रिया (वंशागति) में भाग लेता है।
- कैमिलो गाल्जी ने 1898 में गाल्जीकाय की खोज की।
- 1880 में फ्लेमिंग ने क्रोमेटिन का पता लगाया और कोशिका विभाजन के बारे में बताया।
- 1883 में स्चिम्पर ने पर्णहरिम (Chloroplast) का नामकरण किया।
- 1888 में वाल्डेयर ने गुणसूत्र (Chromosome) नाम दिया।
- माइटोकॉन्ड्रिया की खोज रिचर्ड अल्टमान ने की और इसे बायोब्लास्ट कहा जबकि माइटोकॉन्ड्रिया नाम बेन्डा ने दिया।
एक कोशिकीय और बहु कोशिकीय जीव
जीवधारी एक कोशीय या बहु कोशीय होते हैं।
अमीबा, पैरामीशियम तथा जीवाणु जैसे एक कोशीय जीवों में सभी जैविक प्रकार्य एक ही कोशिका के द्वारा संपादित होते हैं।
कोशिकाओं की आकृति
बहुकोशिकीय पौधों और जीवों में कोशिकाएं विभिन्न आकृति और आकार की होती हैं। अधिकतर कोशिकाएं गोलाकार होती हैं लेकिन घनाकार और स्तंभ के आकार की कोशिकाएं भी होती हैं। जंतुओं की तंत्रिका कोशिकाएं लंबी और शाखादार होती है।
कोशिका की अमाप
सामान्यतः कोशिकाएं अतिसूक्ष्म आकार की होती हैं। इन्हें सूक्ष्मदर्शी के बिना सामान्य आंखों से नहीं देखा जा सकता। माइकोप्लाज्मा जीवाणु की कोशिका सबसे छोटे आकार की होती है। इसका आकार 0.1 माइक्रान होता है। जंतुओं की पेशियों और पौधों की रेशाओं की कोशिकाएं कुछ सेंटीमीटर लंबी होती हैं लेकिन इन्हें भी बिना सूक्ष्मदर्शी के नहीं देख सकते। अंडे की जर्दी (Yolk) भी एक कोशिका है। शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ी कोशिका है। इसकी अमाप 170 मिलीमीटर होती है।
कोशिका सिद्धांत
एम जे श्लाइडेन और थियोडोर श्वान ने मिलकर 1839 में कोशिका सिद्धांत का प्रतिपादन किया। श्लाइडेन वनस्पतिशास्त्री थे जबकि श्वान जंतुविज्ञानी थे। कोशिका सिद्धांत के अनुसार :-
- प्रत्येक जीव का शरीर एक या अधिक कोशिकाओं से बना होता है।
- प्रत्येक जीव की उत्पत्ति एक कोशिका से होती है।
- प्रत्येक कोशिका एक स्वाधीन इकाई है, यद्यपि किसी जीवधारी में सभी कोशिकाएं मिलकर काम करती हैं।
- केंद्रक नयी कोशिकाओं की उत्पत्ति में मुख्य भूमिका निभाता है।
अपवाद
विषाणु या वायरस के मामले में कोशिका सिद्धांत लागू नहीं होता। वायरस बिना कोशिका वाले संक्रामक परजीवी होते हैं। ये ऐसे सूक्ष्मजीव(?) होते हैं जो कोशिका के स्तर तक नहीं पहुंच पाए हैं।
कोशिकाओं के प्रकार
संरचना के आधार पर कोशिका दो प्रकार की होती हैं, प्रोकैरियोटिक कोशिका तथा यूकैरियोटिक कोशिका।
प्रोकैरियोटिक कोशिका
इस प्रकार की कोशिकाएं प्रारंभिक कोशिकाएं कहलाती हैं। यह सरल रचना वाली कोशिका होती है। इस प्रकार की कोशिकाओं में स्पष्ट केंद्रक का अभाव होता है। जीवाणु कोशिका इस प्रकार की कोशिका का सबसे अच्छा उदाहरण है। इसका आकार प्राया 1 माइक्रोन से 10 माइक्रोन के मध्य होता है। इनमें पाई जाने वाले आनुवांशिक पदार्थ अर्थात डीएनए द्वारा निर्मित गुणसूत्र कोशिका द्रव्य (साइटोप्लाज्म) के विषेष क्षेत्र में मौजूद होते हैं। इस विशेष क्षेत्र को न्यूक्लियोटाइड कहते हैं।
केंद्रक झिल्ली की अनुपस्थिति के कारण केंद्रक में पाए जाने वाले पदार्थ जैसे डी एन ए, आर एन ए, प्रोटीन आदि कोशिका द्रव्य के संपर्क में रहते हैं। कोशिका द्रव्य में राइबोसोम के कण उपस्थित होते हैं, परंतु अन्य कोशिकांगों का अभाव रहता है। प्रकाश संश्लेषी जीवाणु में हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट) प्लाज्मा झिल्ली द्वारा निर्मित थैलीनुमा संरचना में मौजूद होता है।
यूकैरियोटिक कोशिका
वैसी कोशिकाएं जो पूर्ण रूप से विकसित होती हैं यूकैरियोटिक कोशिकाएं कहलाती हैं। इस प्रकार की कोशिकाएं विषाणु, जीवाणु, नील हरित शैवाल को छोड़कर सभी पौधे तथा जंतु में पाई जाती हैं। यह रचनात्मक आधार पर पूर्ण विकसित कोशिका होती है। इनका आकार बड़ा होता है। इस प्रकार की कोशिका में पूर्ण विकसित केंद्रक होता है जो चारों ओर से दोहरी झिल्ली द्वारा घिरा होता है । कोशिका द्रव्य में झिल्ली युक्त कोशिकांग उपस्थित होते हैं। इन में गुणसूत्र की संख्या 1 से अधिक होती है। कोशिका विभाजन समसूत्री विभाजन तथा अर्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है। इनमें लैंगिक जनन होता है। कोशिका भित्ति मोटी होती है।
प्रो-कैरियोटिक और यू-कैरियोटिक कोशिकाओं में अंतर :
1. प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं आदिम कोशिकाएं हैं जब की यूकैरियोटिक कोशिका विकसित होती हैं।
2. प्रोकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक अविकसित होता है जबकि यूकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक विकसित होता है।
3. प्रोकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक कला (न्यूक्लियर मेम्ब्रेन) और केंद्रिका अनुपस्थित होता है जबकि यूकैरियोटिक कोशिका में ये दोनों होते हैं।
4. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में झिल्लीयुक्त कोशिकांग जैसे गाॅल्गी तंत्र, इंडोप्लाज्मिक रेटिकुलस, लाइसोसोम, क्लोरोप्लास्ट माइटोकॉन्ड्रिया आदि नहीं होते। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में झिल्लीयुक्त कोशिकांग जैसे गाॅल्गी तंत्र, इंडोप्लाज्मिक रेटिकुलस, लाइसोसोम, क्लोरोप्लास्ट माइटोकॉन्ड्रिया आदि होते हैं।
5. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में समसूत्री कोशिका विभाजन (माइटोसिस) नहीं होता। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में समसूत्री कोशिका विभाजन (माइटोसिस) होता है।
6. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में श्वसन तंत्र प्लाज्मा झिल्ली में होता है जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में श्वसन तंत्र माइटोकॉन्ड्रिया में होता है ।
7. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट नहीं होता, आंतरिक झिल्लियों में प्रकाश संश्लेषी तंत्र होता है। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में प्रकाश संश्लेषी तंत्र हरित लवक में होता है।
8. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिका भित्ति पतली होती है। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिका भित्ति मोटी होती है।
9. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं कोशिकाद्रव्यी गति स्पष्ट नहीं होती। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिकाद्रव्यी गति स्पष्ट होती।
10. कोशिकाओं में कोशिकाओं में रिक्तिका अनुपस्थिति होती है जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिकाओं रिक्तिका उपस्थित होती है।
11. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिकाओं में लैंगिक जनन नहीं होता। जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिकाओं में लैंगिक जनन होता है।
12. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिकाओं में कोशिका विभाजन विखंडन अथवा मुकुलन द्वारा होता है। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिका विभाजन समसूत्री विभाजन तथा अर्द्ध सूत्री विभाजन द्वारा होता है।
13. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिकाओं में केवल एक गुणसूत्र पाया जाता है जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिकाओं में एक से अधिक गुणसूत्र पाए जाते हैं।
पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर
1. पौधों में तीन स्तरों वाली विकसित कोशिका भित्ति पायी जाती है जो मुख्य रूप से सेलुलोज की बनी होती है। जंतु कोशिकाओं में कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती। इन कोशिकाओं में जीवद्रव्य प्लाज्मा मेंब्रेन से ढकी रहती है।
2. कवक आदि कुछ अपवादों को छोड़कर सभी पौधों में पर्णहरिम (क्लोरोफिल) पाया जाता है। जंतु कोशिकाओं में पर्णहरिम नहीं पाया जाता।
3. पादप कोशिकाओं में सेंट्रोसोम नहीं पाया जाता। जंतु कोशिकाओं में सेंट्रोसोम पाया जाता है।
4. पादप कोशिकाओं में प्राय: लाइसोसोम नहीं पाया जाता जबकि जंतु कोशिका में पाया जाता है।
5. पादप कोशिकाओं में रसधानी या रिक्तिका होती है जबकि जंतु कोशिकाओं में रिक्तिका अनुपस्थिति होती है।
6. अधिकांश पादप कोशिकाओं में तारक केंद्र नहीं होते जबकि जंतु कोशिकाओं में तारक केंद्र होते हैं।
सार संक्षेप
- कोशिकाओं के अध्ययन को साइटोलॉजी कहते हैं।
- कोशिका की खोज राबर्ट हुक ने की।
- ल्यूवेन हाक ने सबसे पहले कोशिकाओं के आंतरिक संघटन का अध्ययन किया।
- राबर्ट ब्राउन ने केंद्रक की खोज की।
- अमीबा, पैरामीशियम तथा जीवाणु जैसे जीव का शरीर सिर्फ एक कोशिका से बना होता है।
- शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ी कोशिका है।
- सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा जीवाणु में पाई जाती है।
- पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति पाई जाती है जबकि जंतु कोशिकाओं में नहीं।
- कोशिका भित्ति सेलुलोस की बनी होती है।
- पादप कोशिकाओं में क्लोरोफिल पायी जाती है जो कि प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है।