ऊर्जा
किसी वस्तु द्वारा कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं।
ऊर्जा एक अदिश राशि है। जिसका SI मात्रक जूल है। ऊर्जा ना तो उत्पन्न होती है और ना ही नष्ट होती है बल्कि उर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण होता है।
वास्तव में जब किसी पिंड पर कोई दूसरा पिंड कार्य करता है। तो कार्य करने वाले पिंड के ऊर्जा खर्च हो जाती है जबकि जिस पिंड पर कार्य हो रहा होता है, उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है।
ऊर्जा दो प्रकार की होती है
1. गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
2. स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy).
1. गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
किसी पिंड में गति के कारण उसमें निहित ऊर्जा गतिज ऊर्जा कहते हैं। यदि किसी पिंड का द्रव्यमान m है, तथा उसका वेग V है तो
गतिज ऊर्जा = 1/2mV2
या गतिज ऊर्जा = 1/2* द्रव्यमान * (वेग)2
गतिज ऊर्जा सदैव धनात्मक होती है। इसकी मापदंड के वेग और द्रव्यमान के गुणनफल के आधी होती है। गतिज ऊर्जा का मात्रक जूल है।
जैसे गतिमान गोली, बहती हुई हवा और जल गतिमान वाहन, फेंका गया भाला या तीर आदि।
2. स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)
किसी पिंड की विशेष अवस्था या स्थिति के कारण उसमें कार्य करने की जो क्षमता होती है। उसे पिंड की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। यदि किसी पिंड का द्रव्यमान m पृथ्वी गुरुत्वीय त्वरण g तथा पिंड की सतह की ऊंचाई h हो तो।
स्थितिज ऊर्जा (P.E) = mgh
या
स्थितिज ऊर्जा = द्रव्यमान* गुरुत्व * ऊंचाई
जैसे: चाबी वाली गाड़ियों की स्प्रिंग में संचित ऊर्जा, दबी हुई स्प्रिंग, तना हुआ धनुष आदि।
स्थितिज ऊर्जा के कई रूप होते हैं।
1. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
2. स्थिर विद्युत ऊर्जा
3. प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा
4. चुंबकीय स्थितिज ऊर्जा
ऊर्जा संरक्षण का नियम
इस नियम के अनुसार ऊर्जा सदा नियत बनी रहती है। अर्थात ऊर्जा ना तो उत्पन्न होती है और ना ही नष्ट होती है। ऊर्जा का केवल एक रूप से दूसरे रूप मे परिवर्तन होता है।
ऊर्जा का रूपांतरण इसके उदाहरण निम्न है।
विद्युत सेल = रासायनिक ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन
डायनेमो/जनित्र (जनरेटर) = यांत्रिक ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में
हीटर = विद्युत ऊर्जा से प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में
सौर सेल = प्रकाश ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में
विद्युत घंटी = विद्युत ऊर्जा से ध्वनि ऊर्जा में
सितार = यांत्रिक ऊर्जा से ध्वनि ऊर्जा में
परमाणु विद्युत संयंत्र = परमाणु ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में
ताप विद्युत घर = ताप ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा
महत्वपूर्ण तथ्य
- यूरेनियम प्लूटोनियम के माध्यम से नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
- सौर ऊर्जा सूर्य के प्रकाश से प्राप्त होती है सूर्य के संगठन में लगभग 70% हाइड्रोजन 28% एवं 2% भारी तत्व होते हैं।
- सूर्य से प्राप्त होने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों को सौर विकिरण कहते हैं।
- सौर सेल में सिलिकॉन गैलियम जैसे अर्धचालकों से बनी प्लेट का प्रयोग किया जाता है।
- सूर्य का ईधंन हाइड्रोजन है। जबकि सूर्य के केंद्र में अत्यधिक दाब होने के कारण हाइड्रोजन नाभिकीय संलयन अभिक्रिया करके हीलियम नाभिक का निर्माण करते हैं। जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है।