गीता का कर्मयोग या निष्काम कर्म का सिद्धांत
कर्मयोग या निष्काम कर्म निष्काम कर्म गीता का मुख्य उपदेश है। गीता की यह स्पष्ट मान्यता है कि कोई भी […]
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चार्वाक दर्शन का सुखवादी नीतिशास्त्र चार्वाक दर्शन के अनुसार प्रत्यक्ष ही एकमात्र ज्ञान का साधन है। जिसका प्रत्यक्ष नहीं हो
अद्वैत दर्शन अद्वैत दर्शन के प्रतिपादक शंकराचार्य हैं। उनके अनुसार “ब्रह्म सत्यं जगन्नमिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापर:।” ब्रह्म (निर्गुण ईश्वर) ही
जैन दर्शन जीव के प्रकार जैन दर्शन चेतन द्रव्य को जीव या आत्मा कहता है। जीव चेतना स्वरूप है अर्थात्
इमैनुएल कांट का दर्शन इमैनुएल कांट का दर्शन समीक्षावाद कहलाता है क्योंकि उसने अनुभववाद और बुद्धिवाद की आलोचनात्मक समीक्षा करके
सांख्य दर्शन भारतीय दर्शन पद्धतियों में सांख्य सबसे प्राचीन माना जाता है। महर्षि कपिल के द्वारा सांख्य दर्शन का प्रतिपादन