सिख पंथ

सिख पंथ

  • सिख पंथ की स्थापना गुरु नानक द्वारा 15 वी शताब्दी में की गई।
  • गुरु नानक की अनुयायी ही सिख (या शिष्य) कहलाए।
  • गुरु नानक ने संगत (धर्मशाला) एवं पंगत (साथ बैठकर भोजन करना) जिसे लंगर भी कहते हैं की परंपरा आरंभ की।
  • सिखोंके दूसरे गुरु अंगद ने गुरुमुखी लिपि का आविष्कार किया। गुरु अंगद के नेतृत्व में गुरु नानक के जीवन चरित्र की रचना की गई तथा उनकी वाणियों एवं शब्दों को एकत्रित करके गुरुमुखी में लिपिबद्ध किया गया।
  • सिखों के तीसरे गुरु अमरदास ने देश भर में 22 गद्दियों की स्थापना की तथा प्रत्येक पर एक महंत की नियुक्ति की।
  • सिखों के चौथे गुरु रामदास को अकबर ने 500 बीघा भूमि प्रदान की थी। उपर्युक्त भूमि पर रामदास ने अमृतसर तथा संतोष नामक दो सरोवरों का निर्माण किया और इनके आस-पास अमृतसर नगर को बसाया। गुरु रामदास ने मनसद प्रणाली चलाई।
  • सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव (1581-1606) के काल में गुरु पद वंश परंपरागत हो गया। गुरु के अधिकारों में वृद्धि हुई। उन्हें राजा के अधिकारों से विभूषित किया गया और सिखों के बीच गुरुओं की पूजा चल पड़ी। गुरु अर्जुन देव प्रथम गुरु थे जिन्होंने राजनीति में रुचि ली। अर्जुन देव ने संतो वाले वस्त्र त्याग कर राजसी वस्त्रों को अपनाया।

सिखों के दस गुरु

  1. गुरु नानक (1469 से 1539)
  2. गुरु अंगद (1539 से 1552ई)
  3. गुरु अमरदास (1552 से 1574 ई)
  4. गुरु रामदास (1574 से 1581ई)
  5. गुरु अर्जुन देव (1581 से 1606 ई)
  6. गुरु हरगोविंद (1606 से 644 ई)
  7. गुरु हर राय (1645 से 1661ई)
  8. गुरु हरकिशन (1661 से 1664 )
  9. गुरु तेग बहादुर (1664 से 1675)
  10. गुरु गोविंद सिंह (1675 से 1708 )
  • अर्जुन देव ने 1595 में व्यास नदी के तट पर गोविंदपुर नामक एक शहर बसाया।
  • अर्जुन देव ने अमृतसर एवं संतोष नामक सरोवरों के बीच हरमंदिर साहिब का निर्माण करवाया
  • सिखों के धार्मिक ग्रंथ आदि ग्रंथ की रचना गुरु अर्जुन देव ने की
  • मुगल सम्राट जहांगीर ने विद्रोही मुगल राजकुमार खुसरो को समर्थन देने के कारण अर्जुन देव की हत्या करवा दी।
  • 1606 ईस्वी में सिखों के छठे गुरु हरगोविंद ने गुरु के स्थान पर सच्चा बादशाह की पदवी धारण की तथा स्वयं को शस्त्र, छत्र आदि राज चिन्हों से सुशोभित किया
  • गुरु हरगोविंद मीरी और पीरी नामक दो तलवार बांधकर गद्दी पर बैठते थे।
  • गुरु हरगोविंद ने अकाल तख्त की स्थापना की
  • गुरु हरगोविंद अमृतसर की रक्षा हेतु लौहागढ़ किले का निर्माण करवाया
  • सिखों के साथ में गुरु हर राय ने शाहजहां के पुत्रों के बीच अधिकार के युद्ध का प्रारंभ हुआ तो अपना समर्थन दारा शिकोह को दिया।
  • इस्लाम नहीं स्वीकार करने के कारण औरंगजेब ने नौंवे गुरु तेग बहादुर को वर्तमान शीशगंज गुरुद्वारा के निकट फांसी दे दी।
  • सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्म 1666 में पटना साहिब में हुआ।
  • गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में सिखों ने मुगलों को 1695 नादोन में तथा 1706 में खिदराना में पराजित किया।
  • गुरु गोविंद सिंह ने सिखों के लिए पंज ककार अनिवार्य किया और सभी लोगों को अपने नाम के आगे सिंह शब्द जोड़ने के लिए कहा। गुरु गोविंद सिंह ने सिखों से पंज ककार के तहत केश, कच्छा, कंघी, कड़ा एवं कृपाण धारण करने के लिए कहा।
  • 1699 गुरु गोविंद सिंह खालसा पंथ की स्थापना की।
  • गुरु गोविंद सिंह के बाद सिखों के गुरु की परंपरा समाप्त हो गई।
  • गुरु गोविंद सिंह ने पाहुल प्रणाली को आरंभ किया। इन्होंने सिखों के धार्मिक ग्रंथ आदि ग्रंथ को आधुनिक रूप दिया।
  • गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद सिखों का नेतृत्व बंदा सिंह बहादुर ने किया । बंदा बहादुर का उद्देश्य पंजाब में एक सिख्ख राज्य स्थापित करने का था। इसके लिए उसने लौहगढ़ को राजधानी बनाया।
  • मुगल बादशाह फर्रुखसियर के आदेश पर 1716 में बंदा सिंह को गुरदासपुर नांगल नामक स्थान पर पकड़ कर मौत के घाट उतार दिया गया।
  • गुरु गोविंद सिंह ने सिखों को एक सैनिक जाति में परिवर्तित करने के लिए 30 मार्च 1696 को आनंदपुर साहिब में बैसाखी के दिन एक विशाल सम्मेलन में खालसा पंथ की स्थापना।
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