भारत में वनों के प्रकार : भारत का भूगोल

भारत में वनों के प्रकार

भारत में वनों के प्रकार: भारत में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति पाई जाती हैं। भिन्न-भिन्न जलवायु दशाओं के कारण देश के अलग-अलग क्षेत्रों पाये जाने वनों में वनस्पति प्रजातियों में भी भिन्नता देखी जाती है।

वनस्पतियों के प्रकारों और जलवायु दशाओं में भिन्नता के आधार पर भारत में पाए जाने वनों को निम्नलिखित पांच प्रकारों में बांटा गया है :-

    1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार और अर्ध सदाबहार वन
    2. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन
    3. उष्णकटिबंधीय कांटेदार वन
    4. पर्वतीय वन
    5. वेलांचली व अनूप वन।

1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार एवं अर्द्ध सदाबहार वन

i. सदाबहार वन

जलवायु क्षेत्र :- इन वनों का विकास उष्ण और आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में हुआ है। 200 सेमी से अधिक औसत वार्षिक वर्षा और 22 डिग्री सेल्सियस से अधिक औसत वार्षिक तापमान वाले इलाकों में सदाबहार वन पाए जाते हैं।

क्षेत्रीय वितरण :- ये वन पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढाल, उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र और अंडमान-निकोबार द्वीप समूहों में पाए जाते हैं।

वनस्पति प्रजातियां :- रोजवुड, महोगनी, ऐनी, एबनी, आर्किड्स तथा फर्न मुख्य रूप से पाए जाते हैं।

विशिष्टताएं :- ये वन बहुत सघन होते हैं। इन वनों में ऊंचाई के अनुसार वृक्षों की कई परतें होती हैं। सबसे नीचे झाड़ियां और लताएं होती हैं। इनसे ऊपर कम ऊंचाई वाले वृक्ष होते हैं। सबसे उपरी हिस्से में लंबे पेड़ होते हैं। इनमें पायी जाने वाली वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियों में पत्तियों के झड़ने का समय अलग-अलग होता है अतः इन वनों में पूरे साल भर हरियाली रहती है।

ii. अर्ध सदाबहार वन

वितरण क्षेत्र :- जिन क्षेत्रों में जिनमें उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते हैं उन्हीं के अपेक्षाकृत कम वर्षा वाले भागों में आर्द्र पर्णपाती वन भी मिलते हैं। उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन और आर्द्र पर्णपाती वनों के मिश्रण से अर्ध सदाबहार वन बनते हैं।

मुख्य वृक्ष :- साइडर, होलक, कैल।

उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन

भारत में पतझड़ वन सबसे अधिक क्षेत्र में पाए जाते हैं। ये वन मानसून के मौसम में हरे भरे हो जाते हैं इसलिए इन्हें मानसूनी वन भी कहा जाता है। 70-200 सेमी औसत वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में ये पाए जाते हैं। इन वनों को आर्द्र और शुष्क पतझड़ वनों में बांटा गया है।

i. आर्द्र पर्णपाती वन

वितरण क्षेत्र :- उत्तर पूर्वी राज्यों, हिमालय की तलहटी, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों और ओडिशा।

उपयुक्त जलवायु :- 100 – 200 सेमी औसत वार्षिक वर्षा।

मुख्य वृक्ष :- साल, सागौन, शीशम, हर्रा, बहेड़ा, आंवला, सेमल, कुसुम, चंदन आदि।

ii. शुष्क पर्णपाती वन

वितरण क्षेत्र :- प्रायद्वीपीय पठार के अधिक वर्षा वाले भागों, उत्तर प्रदेश और बिहार के मैदानी इलाके।

उपयुक्त जलवायु :- 70 – 100 सेमी औसत वार्षिक वर्षा।

मुख्य वृक्ष :- तेंदु, पलास, अमलतास, बेल, खैर, धावड़ा (अक्सलवूड) आदि।

वनों के प्रकार
भारत में वनों के प्रकार Credit: NCERT

उष्ण कटिबंधीय कांटेदार वन

वितरण क्षेत्र :- दक्षिण पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के अर्धशुष्क क्षेत्र।

जलवायु :- 50 सेमी से कम वर्षा।

वनस्पति प्रजातियां :- बबूल, बेर, खजूर , नीम, खैर, खेजड़ी, पलास, घास आदि।

विशिष्टताएं :- लगभग साल भर पत्तों से रहित कांटेदार झाड़ियों, कम ऊंचाई के वृक्षों और लंबी घासों से युक्त वन।

पर्वतीय वन

पर्वतीय वनों में वनस्पतियों की बहुत भिन्नताएं दिखाई देती हैं। पर्वतों की ऊंचाई बढ़ने के साथ साथ वनस्पतियों में भी बदलाव आता है। क्षेत्रीय आधार पर भी पर्वतीय वन अलग-अलग होते हैं। जैसे:

  1. उत्तरी पर्वतीय वन,
  2. दक्षिणी पर्वतीय।

i. उत्तरी पर्वतीय वन

ऊंचाई बढ़ने के साथ साथ हिमालय पर्वतों में उष्ण कटिबंधीय वनों से लेकर टुंड्रा वन पाए जाते हैं।

हिमालय की तलहटी में पतझड़ वन पाए जाते हैं।

1000 – 2000 मी की ऊंचाई पर आर्द्र शीतोष्ण कटिबंधीय प्रकार के वन पाए जाते हैं।

पूर्वी भारत, उत्तरांचल, पश्चिम बंगाल के ऊंचे पहाड़ों में ओक और चेस्टनट जैसे सदाबहार वन पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों में 1500 -1750 मी की ऊंचाई पर चीड़ वन पाए जाते हैं।

पश्चिमी हिमालय में मजबूत लकड़ी वाले देवदार वृक्ष मिलते हैं। चिनार और वालन लकड़ियां कश्मीर में हस्तशिल्प के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।

2225 – 3048 मी पर बल्यूपाइन और स्प्रूस (रई) वृक्ष पाए जाते हैं। इस ऊंचाई पर शीतोष्ण कटिबंधीय घास भी उगती है।

3000 – 4000 मी की ऊंचाई पर सिल्वरफर, जूनिपर, पाइन, बर्च और रोडोडेंड्रान आदि पेड़ मिलते हैं। हिमालय के दक्षिणी ढालों पर अधिक वर्षा होती है इसलिए यहां वनस्पतियों की अधिकता है। अधिक ऊंचाई पर माॅस व लाइकन जैसे टुंड्रा वनस्पति पायी जाती है।

ii. दक्षिणी पर्वतीय वन

पश्चिमी घाट, विंध्याचल, और नीलगिरी की श्रृंखलाओं में ये वन मिलते हैं। यहां ऊंचाई पर शीतोष्ण कटिबंधीय और निचले क्षेत्रों में उपोष्ण कटिबंधीय वनस्पति पाई जाती है।

मगनोलिया, लैरल, सिनकोना और वैटल इन वनों में पाए जाने वाले आर्थिक महत्व के वृक्ष हैं। सतपुड़ा और मैकल श्रेणी में भी ये वन पाए जाते हैं।

अनूप वन या मैंग्रोव वन

भारत में 6,740 वर्ग किमी क्षेत्र में मैंग्रोव वन हैं। सुंदरवन डेल्टा, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह तथा महानदी, गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टाई भाग में मैंग्रोव वन पाए जाते हैं।

व्याख्या

उष्ण कटिबंध : भूमध्य रेखा से ऊपर और नीचे दोनों ओर कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच का पृथ्वी का भाग। पृथ्वी का अपने अक्ष में झुके होने के कारण इस हिस्से में सूर्य की किरणें अधिक तिरछी नहीं हो पातीं। इस भाग के प्रत्येक स्थान पर सूर्य साल में एक बार अवश्य लंबवत रहता है।

मैंग्रोव : ऐसे तटीय क्षेत्र होते हैं जहां नदियों का पानी समुद्र के खारे पानी से मिलता है और वहां अर्ध-खारे जल में विकसित होने वाली झाड़ियों और वृक्षों की बहुतायत होती है।

सार संक्षेप

भारत में वनों के प्रकार :

  1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार और अर्ध सदाबहार वन
    1. सदाबहार वन
    2. अर्द्ध सदाबहार वन
  2. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन
    1. आर्द्र पर्णपाती वन
    2. शुष्क पर्णपाती वन
  3. उष्णकटिबंधीय कांटेदार वन
  4. पर्वतीय वन
    1. उत्तरी पर्वतीय वन
    2. दक्षिणी पर्वतीय वन
  5. वेलांचली व अनूप वन
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