छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान: कला , साहित्य और संस्कृति

छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान :

साहित्य

  • धनी धरमदास छत्तीसगढ़ी के पहले कवियों में से एक माने जाते हैं।
  • धनी धरमदास ने कबीर के उपदेशों का छत्तीसगढ़ी बोली में प्रचार किया।
  • छत्तीसगढ़ी साहित्य का भारतेन्दु पंडित सुंदरलाल शर्मा को माना जाता है।
  • छत्तीसगढ़ी का प्रथम खंडकाव्य दानलीला को माना गया है। छत्तीसगढ़ी दानलीला की रचना पं सुंदरलाल शर्मा ने की।
  • छत्तीसगढ़ का पाणिनी हीरालाल काव्योपाध्याय को माना जाता है।
  • छत्तीसगढ़ी का प्रथम व्याकरण 1885 में हीरालाल काव्योपाध्याय द्वारा लिखा गया।
  • हीरालाल काव्योपाध्याय के छत्तीसगढ़ी व्याकरण का अंग्रेजी अनुवाद महान् भाषा वैज्ञानिक सर जार्ज ग्रियर्सन द्वारा किया गया। यह अनुवाद 1980 में एशियाटिक सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित हुआ।
  • छत्तीसगढ़ी गद्य लेखन की शुरुआत पं लोचन प्रसाद पाण्डेय ने की।
  • पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय पुरातत्व और इतिहास के प्रसिद्ध विद्वान तथा साहियकार थे।
  • जगन्नाथ प्रसाद भानु प्रिसिद्ध छंदशास्त्री  थे।
  • कोदू राम दलित छत्तीसगढ़ के जनकवि हैं।
  • पंडित मुकुटधर पांडेय छत्तीसगढ़ के प्रथम व्यक्ति थे जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। (1976).
  • छत्तीसगढ़ की प्रथम साहित्यिक संस्था कवि समाज राजिम को माना गया है।

उपन्यास

  • हीरू के कहिनी – पं बंशीधर पांडेय (1926)
  • लवंगलता – प्यारेलाल लाल गुप्त
  • काला पानी – गुलशेर अहमद शानी

काव्य संग्रह

  • चांद का मुंह टेढ़ा है – गजानन माधव मुक्तिबोध
  • अंधेरे में – गजानन माधव मुक्तिबोध
  • ब्रह्म राक्षस – गजानन माधव मुक्तिबोध
  • मोर संग चलव रे – लक्ष्मण मस्तूरिया
  • सुरता के चंदन – हरि ठाकुर
  • शतदल, अश्रुदल – पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
  • वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर – विनोद कुमार शुक्ल
  • कविता से लंबी कविता – विनोद कुमार शुक्ल
  • लगभग जयहिंद – विनोद कुमार शुक्ल

कहानियां

  • टोकरी भर मिट्टी – माधवराव सप्रे
  • झलमला – पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
  • श्यामा स्वप्न – ठाकुर जगमोहन सिंह

इतिहास

  • फ्रांसीसी राज्य क्रांति का इतिहास – प्यारेलाल लाल गुप्त
  • प्राचीन छत्तीसगढ़ – प्यारेलाल गुप्त
  • हालैण्ड की स्वतंत्रता का इतिहास – बैरिस्टर छेदीलाल
  • आयरलैंड का इतिहास – पं रविशंकर शुक्ल
  • महाराणा प्रताप – घनश्याम सिंह गुप्त
  • अफजल खां की तलवार – घनश्याम सिंह गुप्त
  • तारीख ए हैहयवंशी – बाबू रेवाराम
  • भोंसला वंश प्रशस्ति – लक्ष्मण कवि
  • स्वदेशी आंदोलन और बायकाट – माधवराव सप्रे

जीवनी

  • पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय – प्यारेलाल लाल गुप्त
  • गांधी मीमांसा – पं रामदयाल तिवारी

महाकाव्य और प्रबंध काव्य

  • कोसलानंद महाकाव्य – गंगाधर मिश्र
  • दानलीला खंड काव्य – पं सुंदरलाल शर्मा

नाटक

  • कलिकालपं लोचन प्रसाद पाण्डेय  (छत्तीसगढ़ी का प्रथम नाटक)

हास्य/व्यंंग्य

  • कछेरी – मेदनी प्रसाद पाण्डेय
  • सियानी के गोठ – कोदूराम दलित
  • मोला गुरु बनई लेते – डॉ नरेन्द्रदेव वर्मा
  • तिकोने चेहरे – लतीफ घोंघी
  • तीसरे बंदर की कथा, उड़ते उल्लू के पंख – लतीफ घोंघी

पत्र-पत्रिकाएं

  • दुलरवा (मासिक) – पं सुंदरलाल शर्मा
  • राष्ट्रबंधु – ठाकुर प्यारेलाल सिंह

अनुवाद

  • कालिदास के मेघदूत का छत्तीसग़ी अनुवाद – पं मुकुटधर पांडेय
  • हीरालाल काव्योपाध्याय के छत्तीसगढ़ी व्याकरण का अंग्रेजी अनुवाद – जार्ज ग्रियर्सन
  • स्वामी समर्थ रामदास रचित दासबोध का मराठी से हिन्दी अनुवाद – माधवराव सप्रे

लोक संस्कृति

  • छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का परिचय – श्यामाचरण दुबे
  • मीट माय प्युपिल – देवेन्द्र सत्यार्थी
  • मुरिया एंड देअर घोटुल – वेरियर एल्विन
  • द मारिया गोंड्स आफ बस्तर -जार्ज ग्रियर्सन

साहित्यकार और संबंधित स्थान

  • डॉ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ रियासत में हुआ था।
  • डॉ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने राजनांदगांव के दिग्विजय महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया।
  • गजानन माधव मुक्तिबोध भी दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव में पढ़ाते थे।
  • शिखर साहित्य पुरस्कार प्राप्त कर्ता विनोद कुमार शुक्ल राजनांदगांव से हैं।
  • हिंदी के प्रथम छायावादी कवि पद्मश्री मुकुटधर पांडेय का जन्म जांजगीर जिले के बालपुर में हुआ था।
  • पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म राजिम के पास चमसूर ग्राम में हुआ था।

और पढ़ें: छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान भाग – 1

छत्तीसगढ़ में कला और संस्कृति

जनजातीय नृत्य

  • ककसार नृत्य – मुरिया जनजाति
  • हुल्की नृत्य – मुरिया
  • एबालतोर नृत्य – मुरिया
  • गौर नृत्य – मारिया जनजाति का शिकार नृत्य।
  • बिलमा नृत्य – बैगा
  • परब नृत्य – धुरवा जनजाति का युद्ध नृत्य।
  • बार नृत्य – कंवर जनजाति
  • थापटी नृत्य – कोरकू जनजाति

लोक नृत्य

  • देवदास बंजारे – पंथी नृत्य के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार।

लोकमंच

  • रवेली नाच पार्टी – दाऊ दुलारसिंग मंदराजी
  • लोरिक चंदा – दाऊ महासिंह चंद्राकर
  • सोनहा बिहान – दाऊ महासिंह चंद्राकर
  • नवा बिहान – केदार यादव
  • चंदैनी गोंदा – खुमान लाल साव

लोकगाथा

  • गोपल्ला गीत – कल्चुरी वंश के इतिहास से संबंधित है।
  • पंडवानी – पंडवानी में पांडवों की अर्थात् महाभारत की कथा को लोक शैली में संगीतमय प्रस्तुति होती है। वैसे पंडवानी का साहित्यिक आधार  सबलसिंह चौहान के द्वारा रचित दोहा-चौपाई महाभारत है; परंतु इसकी गायकी परधान जनजाति द्वारा विकसित विशिष्ट शैली पर आधारित है। दुनिया के श्रेष्ठ महाकाव्य महाभारत को  लोकरंग में रंग कर उसकी संपूर्ण भव्यता को कायम रखते हुए एक ही कलाकार के द्वारा सरस रूप में जन जन तक पहुंचा पाना बहुत बड़ी कलात्मक उपलब्धि होती है। प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से पंडवानी की ​दो मुख्य शैलियों का उल्लेख किया जाता है। कुछ कलाकार बैठे-बैठे तंबूरा बजाते हुए पंडवानी गाते हैं । यह पंडवानी गायन की वेदमती शैली है। जबकि कापालिक शैली में कलाकार खड़े हो गाते हुए और नाचते हुए पंडवानी प्रस्तुत करता है। चाहे वेदमती शैली हो या कापालिक दोनों में ही पंडवानी गायक कंठस्थ की हुई लोकगाथा को गाते हैं किसी पुस्तक को पढ़ते हुए प्रस्तुतीकरण नहीं देते। मंच पर महाभारत-ग्रंथ अवश्य रखा है जाता है लेकिन केवल पूजा और इस महान ग्रंथ के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए। पंडवानी गायन की सर्वश्रेष्ठ कलाकार श्रीमती तीजन बाई हैं जिन्होंने इस लोकगायन को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई। श्रीमती तीजन बाई की पंडवानी गायन कला बहुत ही अच्छी है परंतु साथ में उनका व्यक्तित्व भी उनके प्रस्तुतीकरण को और भी सफल बना देता है। अपने लंबे-चौड़े  शारीरिक बनावट के कारण भी वह भीम और दुर्योधन जैसे पुरुषत्व की पराकाष्ठा वाले किरदारों को भी मंच पर जीवंत कर देती हैं तथा उनके चौड़े चेहरे पर भाव-भंगिमा की एक एक रेखाएं आसानी से दिखाई देती हैं। पंडवानी में रागी नामक कलाकार भी होता है। एक ओर तो रागी पंडवानी गायक मुख्य कलाकार के सुर में सुर मिला कर गाता है, दूसरी ओर वही व्यक्ति ‘हां जी’, ‘हां भईया’ आदि शब्दों के द्वारा श्रोताओं के प्रतिनिधि के रूप में पंडवानी गायक के कथा वाचन के बीच बीच में ‘हुंकारु’ देता है। वास्तव में रागी पंडवानी गायक और श्रोताओं के बीच प्रस्तुतीकरण और रसानुभूति दोनों ही प्रक्रिाओं के लिए मध्यस्थ का कार्य करता है।

पंडवानी के बारे में और पढ़ें.

  • भरथरी – राजा भृतहरि और रानी पिंगला की कहानी पर आधारित  राग और वैराग्य, श्रृंगार और संन्यास की लोकगाथा। स्वर्गीया सुरुज बाई खांडे भरथरी की मुख्य गायिका थीं।

लोकगीत

  • ददरिया – ददरिया को लोकगीतों का राजा कहा जाता है। प्रेम-विरह और श्रृंगार ददरिया के मुख्य विषय होते है।
  • गोपल्ला गीत – कल्चुरी वंश के इतिहास से संबंधित होता है।
  • बांस गीत – इसमें बांस से बने वाद्य यंत्र की  सहायता से गीतमय प्रस्तुतीकरण दी जाती है।

संगीत

  • विमलेंदु मुखर्जी – सितार वादक
  • बुद्धादित्य मुखर्जी – सितार
  • ममता चंद्राकर – लोक गायिका
  • भैरा प्रसाद श्रीवास्तव – ध्रुपद गायन
  • विष्णु कृष्ण जोशी – खयाल गायक
  • पं पचकौड़ प्रसाद पाण्डेय(बाजा मास्टर) – हारमोनियम वादक।
  • बिरजू महाराज – विश्व प्रसिद्ध कत्थक नर्तक एवं विद्वान, रायगढ़ से।
  • कल्याण दास – कत्थक।
  • प्रोफेसर कार्तिक राम – कत्थक, रायगढ़ से।
  • ठाकुर लक्ष्मण सिंह – संगीतकार, रायगढ़ से।

संस्कार गीत

  • सोहर गीत – जन्म और काजर अंजौनी के समक्ष।
  • चुलमाटी – विवाह के समय।
  • भड़ौनी – बारातियों का उपहास।
  • पठौनी – विदाई गीत।

चित्रकला

  • कल्याण प्रसाद शर्मा
  • जे एस व्ही दानी
  • विजय बरेठ
  • श्याम कुमार निनोरिया
  • खेमदास वैष्णव।

रंगकर्म और नाटक

  • नया थियेटर – हबीब तनवीर
  • कारी – रामहृदय तिवारी
  • रेडियो रूपक – डॉ ० नरेन्द्रदेव वर्मा
  • बरसाती भैया – आकाशवाणी उद्घोषक, मूल नाम केसरी प्रसाद बाजपेयी, राजनांदगांव से।

लोक-नाट्य

  • भतरा नाट – पौराणिक कथावस्तु पर आधारित भतरा जनजाति का लोकनाट्य
  • रहस – बिलासपुर क्षेत्र में कृष्ण रासलीला
  • गम्मत – नाचा के अंदर।

फिल्म

  • सुलक्षणा पंडित – गायिका रायगढ़ से।
  • विजेता पंडित – नायिका, रायगढ़ से।
  • अनुराग बसु – हिंदी फिल्म निर्देशक, भिलाई से
  • सतीश जैन – छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्देशक, भानुप्रतापपुर से।
  • ओंकारदास मानिकपुरी – इन्होंने हिंदी फिल्म पीपली लाइव का मुख्य किरदार निभाया है।

शिल्प कला

  • रामा मुरिया – काष्ठ शिल्प
  • झितरु राम – काष्ठ शिल्प
  • के पी मंडल काष्ठ कला
  • सोना बाई रजवार – मृदा शिल्प

पर्व/त्यौहार

  • हरेली – सावन अमावस्या: छत्तीसगढ़ अंचल का पहला पर्व।
  • पोला – बैल दौड़ होता है।
  • छेरछेरा – पौष पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें नयी फसल के आगमन के उपलक्ष्य में बच्चे घर घर जाकर धान मांगते हैं।
  • अकती – अक्षय तृतीया के अवसर पर। इसमें पुतरा-पुतरी बिहाव का आयोजन होता है।

मेला

  • राजिम मेला – माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक।
  • मसीही मेला – मदकू द्वीप मुंगेली
  • कनकी मेला – बिलासपुर
  • शिवरीनारायण मेला – जांजगीर, फरवरी माह।
  • बम्लेश्वरी मेला – डोंगरगढ़, चैत्र और कुंवार नवरात्र दोनों ही समय साल में दो बार ।

पर्यटन

धार्मिक स्थल

  • लक्ष्मण मंदिर – 7 वीं सदी में पांडु वंशी महारानी वासटा द्वारा अपने पति की स्मृति लाल ईंटों से सिरपुर (जिला महासमुन्द) में बनवाया गया विष्णु मंदिर।
  • लथरा शरीफ दरगाह – बिलासपुर जिले में स्थित है।
  • तकिया – अंबिकापुर
  • मामा भांजा मंदिर – बारसूर, जिला दंतेवाड़ा में​ है। इसी मंदिर में गणेशजी की विशाल प्रतिमा विराजमान है।
  • चंद्रादित्य मंदिर – बारसूर में है।
  • दामाखेड़ा – कबीर पंथ से संबंधित यह धार्मिक नगरी बलौदा बाजार जिले के सिमगा तहसील में है।
  • महामाया मंदिर – रतनपुर जिला बिलासपुर।
  • दंतेश्वरी मंदिर – दंतेवाड़ा।
  • बमलेश्वरी मंदिर – डोंगरगढ़ जिला राजनांदगांव।
  • डिडिनेश्वरी मंदिर – मल्हार जिला बिलासपुर।
  • देवरानी जेठानी मंदिर – तालागांव
  • शिवरीनारायण मंदिर – जांजगीर-चांपा
  • खरोद – शिवरीनारायण के पास जिला जांजगीर-चांपा
  • भोरमदेव – चौरा ग्राम, कबीरधाम जिला
  • रूद्र शिव या कालपुरुष की भयंकर प्रतिमा जिसके अंग-प्रत्यंग विभिन्न जीव-जंतुओं की आकृतियों से बनी है – तालाग्राम

प्राकृतिक

  • बगीचा हिल स्टेशन – जिला जशपुर
  • गुप्तेश्वर जल प्रपात – शबरी नदी पर सुकमा जिले में स्थित है।
  • कबरा पहाड़ की गुफाएं – पूर्व पाषाणकालीन आदिमानव की चित्रित गुफाएं रायगढ़ जिले में हैं।
  • कोटमसर गुफा – दरभा क्षेत्र जिला जगदलपुर

सांस्कृतिक

  • जोगीमारा की गुफा – विश्व की प्राचीनतम नाट्य शाला, जिला सरगुजा के रामगढ़ में स्थित है।
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