भारतीय उत्तरी विशाल मैदान : भारत का भूगोल

भारतीय उत्तरी विशाल मैदान

भौतिक बनावट की दृष्टि से भारत को चार या पांच भागों में बांटा जाता है –

  1. हिमालय और उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी विशाल पर्वत श्रृंखलाएं,
  2. उत्तरी विशाल मैदान,
  3. विशाल पठार,
  4. तटवर्ती मैदान और दीप समूह।

यहां पर हम उत्तरी विशाल मैदान के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।

स्थिति

उत्तर का विशाल मैदान हिमालय के दक्षिण में और विशाल पठार के उत्तर में स्थित है।

विस्तार

यह मैदान पश्चिम में राजस्थान से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी तक फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल 7 लाख वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है। यह मैदान 2400 किलोमीटर लंबा और 240 से 320 किलोमीटर चौड़ा है। उर्वर भूमि, पानी की प्रर्याप्त उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण यह मैदान बहुत उपजाऊ है तथा देश की जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग यहां निवासरत है।

निर्माण

यह मैदान उत्तर में हिमालय और दक्षिण में भारतीय विशाल पठार से बहा कर लाई गई मिट्टी से बना है। लेकिन इस मैदान के अधिकांश भाग का निर्माण हिमालय की नदियों सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है।

बनावट

यह मैदान सपाट और समतल है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई लगभग 200 मीटर है। इसकी ढाल बहुत कम होने के कारण इस मैदान में नदियां बहुत धीमी गति से बहती हैं।

जल विभाजक

अंबाला के आसपास की भूमि अपेक्षाकृत ऊंची है इसलिए यह गंगा और सतलुज नदी तंत्रों के बीच जल विभाजक का काम करती है। इस जल विभाजक के पूर्व की ओर की नदियां बंगाल की खाड़ी में जबकि पश्चिम की ओर की नदियां अरब सागर में मिलती हैं।

भाबर

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में शिवालिक पर्वत श्रेणी के समानांतर कंकरीली बलुई मिट्टी से बनी 8-10 किमी चौड़ाई की पतली पट्टियों को भाबर कहते हैं। ग्रीष्म ऋतु में छोटे-छोटे नदी-नालों का पानी इनमें भूमिगत हो जाता है तथा 8-10 किलोमीटर बाद दक्षिण में फिर धरातल पर निकल आता है।

तराई

उन क्षेत्रों को तराई कहते हैं जहां भाबर में भूमिगत हुए नदी-नालों का पानी फिर से धरातल पर आ जाता है। तराई ढलान की दिशा में भाबर से आगे (दक्षिण की ओर) फैला होता है। तराई भाभर या भाबर के समानांतर उसके नीचे 10-20 किमी की चौड़ाई का दलदली क्षेत्र होती है। यह क्षेत्र वनस्पतियों से आच्छादित होता है और विभिन्न प्रकार के वन्य-जीवों का प्राकृतिक आवास होता है। अब तराई का अधिकांश क्षेत्र कृषि योग्य बना लिया गया है।

बांगर

मैदान के अपेक्षाकृत ऊंचे भाग को जिसमें बाढ़ का पानी कभी नहीं पहुंचता बांगर कहलाता हैं। बांगर क्षेत्र बाढ़ वाले मैदान से ऊपर होता। बांगर उत्तरी मैदान का विशालतम भाग है जो पुराने जलोढ़ का बना है।

खादर

मैदान के निचले भागों को जहां बाढ़ का पानी हर साल पहुंचता रहता है खादर कहते हैं। खादर हिस्से बांगर से नीचे होता है। इनका लगभग प्रत्येक वर्ष पुनर्निर्माण होता रहता है, इसलिए उपजाऊ होने के कारण गहन खेती के लिए उपयुक्त होते हैं। खादर को पंजाब में बेट कहते हैं।

नदी द्वीप और वितरिकाएं

उत्तरी पर्वतों से आने वाली नदियां निक्षेपण कार्य में लगी हैं। नदियों के निचले भागों में ढाल कम होने से जल प्रवाह बहुत मन्द है, जिससे नदी द्वीपों का निर्माण होता है। ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजुली द्वीप विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है । यह एक आबाद द्वीप है। इन नदियों के नीचे भाग में गाद इकट्ठा हो जाने के कारण इनका जल प्रवाह कई छोटी धाराओं में वितरित हो जाती हैं। इन छोटी-छोटी धाराओं को वितरिकाएं कहा जाता है।

विभाजन

उत्तरी विशाल मैदान को अध्ययन की सुविधा के लिए चार भागों में बांटा गया है।

  1. पश्चिमी मैदान,
  2. उत्तरी मध्य मैदान,
  3. पूर्वी मैदान और
  4. ब्रह्मपुत्र का मैदान।

i. पश्चिमी मैदान

उत्तरी विशाल मैदान के पश्चिमी हिस्से में राजस्थान की मरुभूमि तथा अरावली श्रेणी का पश्चिमी बांगर क्षेत्र शामिल हैं जिसमें थार मरुस्थल विस्तृत है। मरुस्थल कहीं पर रेतीला और कहीं-कहीं चट्टानी है। इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष 15 सेमी से भी कम वर्षा होती है। जलवायु शुष्क है और वनस्पति भी बहुत कम है।

प्राचीन समय में इस क्षेत्र में सरस्वती और दृषद्वती नाम की नदियां प्रवाहित होती थीं। वर्षा काल में कुछ सरिताएं दिखती हैं और कुछ दूरी के बाद बालू में विलीन हो जाती हैं। प्रर्याप्त जल के अभाव में ये नदियां समुद्र तक नहीं पहुंच पातीं। लूनी यहां की सबसे लंबी नदी है। नाग पहाड़ से लूनी नदी निकल कर कच्छ के रन मे विलीन हो जाती है। खारे पानी का प्रसिद्ध झील सांभर इसी क्षेत्र में जयपुर के निकट है। सांभर झील से नमक का व्यवसायिक उत्पादन होता है।

बरकान अर्द्धचंद्राकार बालू के टीले को कहा जाता है, जो राजस्थान में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास अधिक दिखाई देते हैं।

ii. उत्तरी मध्य मैदान

इसका विस्तार पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश में है। इसका पंजाब-हरियाणा वाला भाग सतलुज, रावी और व्यास नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बना है। यह काफी उपजाऊ है। इसका उत्तर प्रदेश वाला हिस्सा गंगा, यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा और गंडक नदियों के निक्षेप से बना है। मैदान के इस क्षेत्र को भारतीय सभ्यता और संस्कृति का पालना कहा गया है।

iii. पूर्वी मैदान

पूर्वी मैदान बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में फैला है। अपवाह की दृष्टि से यह गंगा की मध्य और निचली घाटी वाला मैदान है। इस मैदान में उत्तर की ओर से घाघरा, गंडक और कोसी नदी तथा दक्षिण दिशा से आकर सोन नदी गंगा में मिलती है।

पश्चिम बंगाल के मैदानी क्षेत्र का विस्तार हिमालय के गिरिपाद से बंगाल की खाड़ी तक है। यह भी एक उपजाऊ मैदान है। इसका समुद्र के समीप का दक्षिणी भाग डेल्टा क्षेत्र है। यहां गंगा अनेक धाराओं में बंट जाती है। इन छोटी धाराओं को वितरिकाएं कहा जाता है। हुगली भी गंगा की एक वितरिका है।

iv. ब्रह्मपुत्र का मैदान

भारतीय उत्तरी विशाल मैदान का उत्तर पूर्वी भाग ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बना है। भयंकर बाढ़ के बाद ब्रह्मपुत्र नदी कई बार अपनी धारा का स्थान बदल लेती है इससे नदी के बीच में अनेक द्वीप बन गये हैं। माजुली संसार का सबसे बड़ा नदी द्वीप है। यह 1250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।

सार-संक्षेप

  • उत्तरी विशाल मैदान हिमालय के दक्षिण से लेकर विशाल पठार तक फैला है।
  • यह राजस्थान से ब्रह्मपुत्र घाटी तक लगभग 7 लाख वर्ग किमी में फैला है।
  • इसका निर्माण मुख्यत: गंगा,सिंध और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है।
  • शिवालिक के नीचे कंकरीली पट्टी जिसके नीचे सरिताएं छुप कर जमीन के अन्दर ही अन्दर बहती हैं भाभर कहलाती है।
  • भाभर में छुप कर बहने वाली छोटी नदियों का जल-प्रवाह फिर से धरातल पर आता तो वहां 10-20 किमी की दलदली पट्टी बन जाती है। इन्हें तराई कहा जाता है।
  • मरुस्थलीय क्षेत्र को छोड़कर शेष भाग बहुत ही उपजाऊ है।
  • उत्तरी विशाल मैदान समतल है इसलिए नदियां मंद गति से बहती हैं।
  • पुराने जलोढ़ मिट्टी से बने ऊंचे क्षेत्र जहां बाढ़ का पानी नहीं चढ़ता बांगर कहलाता है।
  • खादर निचले मैदान होते हैं जहां लगभग हर साल बाढ़ का पानी चढ़ता है।
  • खादर बहुत उपजाऊ जमीन होता है।
  • थार मरुस्थल उत्तरी विशाल मैदान के पश्चिमी भाग का हिस्सा है।
  • यहां औसत वर्षा 150 मिमी से कम होती है।
  • लूनी थार क्षेत्र की एकमात्र बड़ी नहीं है जो नाग पर्वत से निकलती है और कच्छ के रन में विलीन हो जाती है।
  • गंगा यमुना के मैदान को भारतीय सभ्यता और संस्कृति का पालना कहा गया है।
  • माजुली द्वीप संसार का सबसे बड़ा नदी द्वीप है जो ब्रह्मपुत्र नदी पर असम में है।
  • हुगली गंगा नदी की एक वितरिका है।
  • सुंदरवन संसार का सबसे बड़ा डेल्टा है। सुंदरी वृक्ष की बहुलता के कारण यह नाम पड़ा है। यह भारत बांग्लादेश में फैला है।
  • सुंदरवन गंगा नदी का डेल्टा है।
  • इसका क्षेत्रफल लगभग 1,80,000 वर्ग किमी है। यहां पर रायल बंगाल टाइगर पाए जाते हैं।
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